- माघ का महीना भगवान श्रीकृष्ण को है समर्पित।
- इस महीने संगम नदी के तट पर कल्पवास का है विशेष महत्व।
- भगवान श्रीहरि व्रत, दान एवं तपस्या से भी ज्यादा माघ मास में पवित्र नदी में स्नान करने से होते हैं प्रसन्न।
Magh Month 2022 in hindi : सनातन धर्म में हर महीने का अपना अलग महत्व और महिमा होती है। वहीं कुछ महीनों का विशेष महत्व होता है, जिसमें से एक है माघ का महीना। माघ का महीना भगवान श्रीकृष्ण को को अत्यंत प्रिय है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस महीने किसी पवित्र नदी में स्नान करने व भगवान श्रीकृष्ण की विधि विधान से पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और विशेष फल की प्राप्ति होती है।
इस महीने प्रयागराज में संगम नदी के तट पर कल्पवास किया जाता है, जिससे व्यक्ति अपने सभी पापों से मुक्त हो जाता है। पद्मपुराण में वर्णित एक कथा के अनुसार भगवान श्रीहरि व्रत, दान एवं तपस्या से भी ज्यादा माघ मास में किसी पवित्र नदी में स्नान करने से प्रसन्न होते हैं। इस महीने की शुरूआत पौष पूर्णिमा के अगले दिन यानी 18 जनवरी 2022, मंगलवार से हो रही है। पौराणिक कथाओं में भी इस महीने का विशेष महत्व बताया गया है। इस महीने व्रत एवं त्योहारों की भरमार होती है। ऐसे में इस लेख के माध्यम से आइए जानते हैं कब से हो रही है माघ मास की शुरुआत और क्या है इस महीने की विशेषता।
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Magh Month 2022 Date, माघ मास 2022 कब से लगेगा?
हिंदू पंचांग के अनुसार वर्ष का ग्यारहवां महीना माघ और अंग्रेजी कैलेंडर का पहला महीना जनवरी होता है। इस बार माघ मास की शुरुआत पौष मास की समाप्ति के साथ 18 जनवरी 2022 मंगलवार से शुरु होकर 16 फरवरी 2022, रविवार को समाप्त हो रहा है। व्रत एवं त्योहारों की दृष्टि से यह महीना बेहद खास रहने वाला है।
- Magh Month 2022 Start Date: 18 जनवरी
- Magh Month 2022 End Date: 16 फरवरी
magh month significance in hindi, माघ मास का महत्व
यह महीना भगवान कृष्ण को समर्पित है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस महीने कल्पवास करने से व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिलती है और स्वर्ग लोक की प्राप्ति होती है। साथ ही इस महीने विधि विधान से भगवान श्री कृष्ण और श्रीहरि भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और कष्टों का निवारण होता है।
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बता दें इस महीने की महिमा पौराणिक ग्रंथों से जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि माघ मास में गौतम ऋषि ने इन्द्रदेव को श्राप दिया था तथा इंद्रदेव द्वारा क्षमा याचना के बाद पापों से मुक्ति के लिए गंगा में स्नान कर प्रायश्चित करने को कहा था, जिसके फलस्वरूप इन्द्रदेव को श्राप से मुक्ति मिली थी। इसलिए इस महीने गंगा स्नान का विशेष महत्व है।