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Mahesh Navami 2022: माहेश्वरी समाज के लिए खास है महेश नवमी, इस विधि से पूजा करने पर शिवजी का मिलेगा आशीर्वाद

Updated Jun 09, 2022 | 07:17 IST

Mahesh Navami 2022 Puja: माहेश्वरी समाज के लोगों के लिए महेश नवमी का दिन बेहद खास माना जाता है। कहा जाता है कि इसी दिन भगवान शिव की कृपा से माहेश्वरी समाज की उत्पति हुई थी।

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महेश नवमी
मुख्य बातें
  • ज्येष्ठ शुक्ल नवमी के दिन होती है महेश नवमी
  • महेश नवमी पर हुई थी माहेश्वरी समाज की उत्पत्ति
  • माहेश्वरी समाज के लोगों के लिए खास है महेश नवमी

Mahesh Navami 2022 Puja Vidhi Muhurat: हिंदू कैलेंडर के अनुसार ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि का दिन महेश नवमी के रूप में मनाया जाता है। भगवान शिव के कई नामों में उनका एक नाम महेश भी है। महेश नवमी के दिन भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की विशेष पूजा अराधना की जाती है। इस साल महेश नवमी का पर्व गुरुवार 9 जून 2022 को बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाएगा। इस दिन पूजा पाठ करने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है और भक्त की सारी मनोकामनाएं पूरी होती है। जानते हैं महेश जयंती की पूजा विधि, मुहूर्त और महत्व के बारे में..

महेश नवमी पूजा मुहूर्त

पंचाग के अनुसार ज्येष्ठ शुक्ल नवमी तिथि बुधवार 08 जून सुबह 08:30 पर शुरू होगी और गुरुवार 09 जून सुबह 08:21 मिनट तक रहेगी। उदयातिथि के अनुसार 09 जून को महेश नवमी का मनाई जाएगी।

महेश नवमी पूजा विधि

इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। कलश में जल, बेलपत्र, धतूरा, फूल आदि सामग्री लेकर किसी शिव मंदिर में जाएं। आप चाहे तो घर पर भी पूजा कर सकते हैं। फिर ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप करते हुए शिवजी का जलाभिषेक करें। पूजा के बाद शिवजी की आरती भी करें।

क्यों माहेश्वरी समाज के लिए खास है महेश नवमी का दिन जानें इस व्रत कथा में

पौराणिक कथाओं के अनुसार, खडगलसेन राजा का पुत्र सुजान कठिन तपस्या के बाद हुआ था। जन्म से लेकर 20 वर्ष की आयु तक ऋषियों ने सुजान को उत्तर दिशा में ना जाने की सलाह दी। जब सुजान बड़ा हुआ तो 72 सैनिकों के साथ शिकार खेलते-खेलते उत्तर दिशा की ओर चला गया। इससे वहां तप कर रहे ऋषियों की तपस्या भंग हो गई। क्रोध में आकर ऋषियों ने सुजान को पत्थर बनने का श्राप दे दिया। जब सुजान की पत्नी चंद्रावती को इस बात का पता चला तो वह जंगल पहुंची और ऋषियों से अपने पति को श्रापमुक्त करने की विनती करने लगी। चंद्रावती की विनती से ऋषियों का मन पिघल गया। तब उन्होंने चंद्रावती से कहा कि महेश नवमी के दिन तुम शिवजी और माता पार्वती की पूजा करो, इससे सुजान श्रापमुक्त हो जाएगा। ज्येष्ठ शुक्ल नवमी पर चंद्रावती ने ऐसा ही किया और सुजान ऋषि के श्राप से मुक्त हो गया। इसके बाद माहेश्वरी समाज ने हिंसा त्यागकर अहिंसा का मार्ग अपनाया। इसलिए माहेश्वरी समाज के लिए महेश नवमी का दिन खास होता है और हर साल इसे धूमधाम मनाया जाता है।  

(डिस्क्लेमर: यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्‍स नाउ नवभारत इसकी पुष्‍ट‍ि नहीं करता है।)

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