- मासिक शिवरात्रि 11 जनवरी दिन सोमवार को पड़ रही है
- मासिक शिवरात्रि शिव और शक्ति यानी देवी पार्वती के संगम का पर्व होता है
- व्रत करने से क्रोध, ईर्ष्या, अभिमान और लालच आदि मानसिक पापकर्म दूर होते हैं
हिंदू पंचांग के अनुसार हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मासिक शिवरात्रि होती है। पौष मास और नए साल में पहली मासिक शिवरात्रि 11 जनवरी दिन सोमवार को पड़ रही है। सोमवार के दिन शिवरात्रि का पड़ना अपने आप में बहुत महत्व रखता है। सोमवार भगवान शिव की पूजा का विशेष दिन होता है और इस दिन शविरात्रि का पड़ना बहुत पुण्य लाभ देने वाला होगा। मासिक शिवरात्रि का व्रत मनुष्य के हर संकट और कष्ट को दूर करने वाला माना माना गया है। भगवान शिव सांसारिक सुखों को प्रदान करने वाले माने गए हैं और यदि शिवरात्रि का व्रत कोई हर मास करे तो उसके विवाह और संतान से जुड़े कष्ट जरूर दूर हो जाते हैं। तो आइए जानें मासिक शिवरात्रि का महत्व और पूजन विधि।
Masik Shivratri Date, Tithi in January 2021
11 जनवरी को मासिक शिवरात्रि है। इस दिन सोमवार है।
मासिक शिवरात्रि का महत्व
मासिक शिवरात्रि शिव और शक्ति यानी देवी पार्वती के संगम की खुशी में रखा जाता है। यह व्रत न केवल सांसारिक सुखों की प्राप्ति कराता है बल्कि ये इंद्रियों को नियंत्रित करने में मदद करता है। मासिक शिवरात्रि का व्रत करने से क्रोध, ईर्ष्या, अभिमान और लालच आदि मानसिक पापकर्म दूर होते हैं। साल की पहली शिवरात्रि सोमवार को है और भगवान शिव को सोमवार का दिन समर्पित किया गया है। ऐसे में मासिक शिवरात्रि का इस दिन पड़ना विशेष पुण्य प्रदान करने वाला होता है। यदि मनुष्य निर्मल मन से व्रत रखकर भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा करे तो उसके विवाह की सारी अड़चने दूर हो जाती हैं और संतान सुख की प्राप्ति होती है। इस व्रत को करने से मनुष्य के हर कष्ट दूर होते हैं। वहीं अविवाहित यदि इस व्रत को करें तो उन्हें मनचाहा जीवनसाथी प्राप्त होता है।
इस विधि से करें मासिक शिवरात्रि का व्रत
मासिक शिवरात्रि के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान आदि कर लें और इसके बाद शिव मंदिर में जा कर भगवान शिव और उनके परिवार (पार्वती, गणेश, कार्तिक, नंदी) की पूजा करें। इस पूजा के बाद शिवलिंग की पूजा जरूर करें। इसके लिए शिवलिंग का रुद्राभिषेक जल, शुद्ध घी, दूध, शक़्कर, शहद, दही आदि से करें और बेलपत्र, धतुरा, भांग और अक्षत के साथ श्रीफल शिवजी को जरूर चढ़ाएं। इसके बाद भगवान शिव की धुप, दीप, फल और फूल आदि से पूजा करें। फिर वहीं मंदिर में बैठकर शिव पुराण, शिव स्तुति, शिव अष्टक, शिव चालीसा और शिव श्लोक का पाठ करें। शाम के समय फिर से शिव आरती करें और उसके बाद फलहार करें। इस दिन रात्रि जागरण का भी बहुत महत्व माना गया है। अगले दिन भगवान शिव की पूजा करें और दान आदि करने के बाद अपना उपवास खोलें। यदि आप मासिक शिवरात्रि व्रत का उद्यापन करना चाहते हैं तो इसे विधिवत रूप से करें।
जानें शिवरात्रि पूजा का सही समय
शिवरात्रि के पूजन समय मध्य रात्रि के समय होता है। भगवान शिव की पूजा रात को 12 बजे के बाद करें और पूजा के समय श्री हनुमान चालीसा का पाठ भी करें। ऐसा करने से उपासक की आर्थिक परेशानी दूर होती हैं।