- पूर्णिमा शुक्ल पक्ष के आखिरी दिन लगती है
- पूर्णिमा पर सत्यनाराण भगवान की पूजा और कथा करनी चाहिए
- इस दिन पीपल के पेड़ में जल अर्पित करने का बहुत महत्व होता है
पूर्णिमा पर सत्यनारायण भगवान की पूजा और कथा कराने को सबसे सर्वोत्तम माना गया है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान के बाद दान करने का बहुत ही महात्मय होता है। पूर्णिमा पर व्रत करने या एक समय भोजन करने का विधान होता है। मान्यता है कि इस दिन यदि मनुष्य चंद्रमा या भगवान सत्यनारायण का व्रत करें तो हर तरह के सुख प्राप्त होते हैं। साथ ही समृद्धि और पद-प्रतिष्ठा भी मिलती है।
हिंदु धर्म और ज्योतिषशास्त्रों के अनुसार भारतीय जनजीवन में पूर्णिंमा का विशेष महत्व है। हिंदु पंचांग के अनुसार माह के 30 दिन को चंद्रकला के अनुसार 15-15 दिनों के आधार पर दो पक्षो में बांटा गया है। जिसे शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष कहते हैं। शुक्ल पक्ष के अंतिम दिन को पूर्णिंमा और कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि को अमावस्या कहते हैं। आपको बता दें हिंदु धर्म में ऐसे कई महत्वपूर्ण दिन और रात हैं जिनका धरती और मानव मन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। उनमें से ही एक महत्वपूर्ण दिन पूर्णिमा का होता है।
इस दिन चंद्रमा अपने पूरे आकार में नजर आता है। इस दिन का भारतीय जनजीवन पर विशेष महत्व होता है। तो आइए जानते हैं साल 2021 में मनाए जाने वाली पूर्णिंमा की तिथि और इसके इसके विशेष महत्व के बारे में। हिन्दू पंचांग के अनुसार माह के 30 दिन को चन्द्र कला के आधार पर 15-15 दिन के 2 पक्षों में बांटा गया है- शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष। शुक्ल पक्ष के अंतिम दिन को पूर्णिमा और कृष्ण पक्ष के अंतिम दिन को अमावस्या कहते हैं। वर्ष में ऐसे कई महत्वपूर्ण दिन और रात हैं जिनका धरती और मानव मन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। उनमें से ही सबसे महत्वपूर्ण दिन है, पूर्णिमा। तो चलिए जानें कि इस साल पूर्णिमा किस दिन और कब-कब होगी।
इस साल जानें, कब-कब लगेगी पूर्णिमा (Purnima Tithis in 2021)
28 जनवरी, बृहस्पतिवार: पौष पूर्णिमा
27 फरवरी, शनिवार: माघ पूर्णिमा
28 मार्च, रविवार: फाल्गुन पूर्णिमा
26 अप्रैल, सोमवार: चैत्र पूर्णिमा
26 मई, बुधवार: बुद्ध पूर्णिमा
जून 24, बृहस्पतिवार: ज्येष्ठ पूर्णिमा
जुलाई 23, शुक्रवार: आषाढ़ पूर्णिमा व्रत
22 अगस्त, रविवार: श्रावण पूर्णिमा
20 सितंबर, सोमवार: भाद्रपद पूर्णिमा
20 अक्टूबर , बुधवार: आश्विन पूर्णिमा
18 नवंबर, बृहस्पतिवार : कार्तिक पूर्णिमा
18 दिसंबर, शनिवार: मार्गशीर्ष पूर्णिमा
पूर्णमा पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना जरूर करनी चाहिए। प्रत्येक पूर्णिंमा पर सुबह पीपल के पेड़ पर मां लक्ष्मी का आगमन होता है। कहते हैं कि जो व्यक्ति इस दिन सुबह उठकर विधि विधान से मां लक्ष्मी की पूजा कर पीपल के पेड़ पर कुछ मीठा रखकर ,जल चढ़ाकर, धूप अगरबत्ती करने से माता लक्ष्मी की कृपा सदैव भक्तों पर बनी रहती है औऱ कष्टों का निवारण होता।