Nag Panchami 2022, why milk is offered to snakes: शास्त्र के अनुसार सावन माह भगवान शिव को बहुत प्रिय है। इस महीने में बहुत सारे त्योहार मनाएं जाते है। उन्हीं त्योहारों में से एक नाग पंचमी भी है। यह हर साल सावन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन नाग देवता को दूध पिलाने का विधान है। ऐसा कहा जाता है, कि इस दिन सांपों को दूध और लावा खिलाने से नाग दोष से मुक्ति मिलती है और नाग देवता की विशेष कृपा घर और परिवार के सदस्यों पर बनी रहती हैं। मान्यताओं के अनुसार नागों की पूजा करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। यदि आप भी नाग पंचमी के दिन नागों को दूध पिलाते हैं, तो इसके पीछे की वजह जरुर जान लें।
नाग पंचमी के दिन नागों को दूध पिलाने की वजह
भक्त सांपों का आशीर्वाद लेने के लिए नाग पंचमी के दिन उन्हें दूध, लावा और फूल चढ़ाते हैं। प्राचीन काल में ऐसी मान्यता थी कि सांप को बोलने की शक्ति होती है। उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में भक्त सुबह-सुबह नाग देवता को दूध चढ़ाने आते हैं। हिंदू धर्म में ऐसा कहा जाता है, कि इस दिन सांपों को दूध चढ़ाने से कुंडली से कालसर्प दोष खत्म होता है।
क्या कहता है ज्योतिष?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार काल सर्प दोष कुंडली में छाया ग्रह राहु और केतु के कारण होने वाला एक अशुभ योग है। ज्योतिष के अनुसार ऐसे जातकों को उनके प्रयासों के बावजूद सही फल प्राप्त नहीं होता हैं। उन्हें जीवन में प्रयास करने के बावजूद निराशा ही मिलती है।
युवा लड़कियां भी उस दिन नाग देवता को दूध चढ़ाकर उनसे मनवांछित वर की प्रार्थना करती हैं। पुरानी धारणा के अनुसार ऐसा कहा जाता है, सांपों की आंखों में एक फोटोग्राफिक मेमोरी होती है। वह किसी के चेहरे को बहुत अच्छी तरह से याद रखते है। इसलिए लोग नाग पंचमी के दिन उनकी पूजा करके परिवार के सदस्यों की रक्षा की कामना करते हैं।
ऐसा कहा जाता है कि नाग पंचमी को नाग देवता को दूध पिलाने से सांप के काटने से मुक्ति मिलती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा करने से भगवान शिव बहुत प्रसन्न होते हैं। इस दिन कुछ जगहों पर तो कई प्रकार के धार्मिक आयोजन किए जाते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नागों को दूध पिलाने से परिवार के सदस्यों के ऊपर किसी प्रकार की विपत्ति नहीं आती है और हर कार्य में सफलता मिलती है।
नाग पंचमी से जुड़ी धार्मिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार यमुना नदी में एक कलिंग नाम का सांप सांप रहता था। जिसकी वजह से ब्रज निवासियों के लिए यमुना का पानी उपभोग करना असंभव हो गया था। चूकिं नदी जहरीली और दूषित हो गई थी, इसलिए भगवान श्री कृष्ण ने सांप को घायल कर उसे यमुना से फैले हुए जहर को वापस लेने को विवश कर दिया। भगवान श्री कृष्ण के आदेश का पालन करते हुए उसने यमुना से सारे जहर को वापस ले लिया। तब भगवान श्रीकृष्ण ने उसे आशीर्वाद दिया और कहा, कि जो भक्त नाग पंचमी के दिन सांप को दूध चढ़ाकर उनकी पूजा करेगा वह सभी पापों और परेशानियों से मुक्त हो जाएगा।
दूसरी कथा के अनुसार
जब समुद्र में सागर मंथन हो रहा था, तब मंथन के दौरान समुद्र से कई तरह की चीजें निकली थी। मंथन के दौरान जब सागर से विष निकला, तो उसे भगवान शिव ने ग्रहण कर लिया। विष पीने के बाद भगवान शिव का गला काफी जलने लगा। तब भगवान शिव ने सांप के जहर की कुछ बूँदों का सेवन किया, सांप को अपने गले में लपेट लिया। इसके बाद सभी देवतागण भगवान शिव और सांप पर गंगाजल का जलाभिषेक किये। तभी से संसार में हर नागपंचमी के दिन नाग की विशेष पूजा अर्चना कर उन्हें दूध पिलाया जाता है।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)