नई दिल्ली : दुनिया में ऐसे बहुत सारे किस्से-कहानियां हैं, जिनपर हमारा विश्वास करना थोड़ा मुश्किल होता है। लेकिन अक्सर उन किस्से-कहानियों के अंदर बहुत सारे राज छिपे होते हैं। ऐसे ही कुछ रहस्यमयी किस्सों से ढ़का हुआ है सतपुड़ा के घने जंगलों के बीच बसा नागद्वारी लोक।
आपको बता दें कि यहां तक पहुंचने के लिए कई खतरनाक पहाड़ों की चढ़ाई चढ़नी पड़ती है, तब जाकर भक्त नागद्वारी के द्वार तक पहुंच सकते हैं। इतना ही नहीं बल्कि यह क्षेत्र टाइगर रिजर्व होने के चलते साल में एक-दो दिन ही खुलता है।
नागपंचमी के दिन विशाल मेले का होता है आयोजन
यहां हर साल नागपंचमी पर एक विशाल मेले का आयोजन किया जाता है। मेले के दिन यहां श्रद्धालुओं की भारी संख्या में भीड़ उमड़ती है। बाबा अमरनाथ और नागद्वारी की यात्रा दोनों सावन मास में ही होती है।
बाबा अमरनाथ की यात्रा के लिए ऊंचे हिमालयों से होकर गुजरना होता है। जबकि नागद्वारी की यात्रा सतपुड़ा की घनी व ऊंची पहाडिय़ों में सर्पाकार पगडंडियों से पूरी होती है। दोनों ही यात्राओं में भोले के भक्तों को धर्म लाभ के साथ ही प्रकृति के नैसर्गिक सौंदर्य के दर्शन होते हैं।
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हर मनोकामना होती है पूर्ण
लोगों का मानना है कि यहां दर्शन मात्र भर से हर मनोकामना पूरी होती है। कहते हैं कि अगर कोई एक बार नागद्वारी की यात्रा पूरी कर ले। तो इससे कालसर्प दोष दूर हो जाता है। यहां अधिकतर यात्राएं जुलाई माह में शुरू होती हैं. पिछले साल यहां दर्शन करने लगभग 5 लाख श्रद्धालु आए थे।
भक्तों को नुकसान नहीं पहुंचाते सांप
नागमणि मंदिर के अंदर करीब 100 फिट की चिंतामणि गुफा है। यहां नागदेव की कई मूर्तियां हैं। नागदेव की यह मूर्तियां जीवंत सी प्रतीत होती हैं। भक्त जब यहां दर्शन करने आते हैं, तो उन्हें कई सारे साँपों का सामना करना पड़ता है। लेकिन हैरानी की बात यह है कि ये सांप भक्तों को कभी नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। बहुत सारे लोगों का तो यह भी कहना है कि नागदेव यहां खुद अपने भक्तों की सुरक्षा करते हैं।
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