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क्या आप जानते हैं गंगा मैया के इन नामों के पीछे जुड़ी कहानी? 

Updated Jan 24, 2021 | 20:04 IST

हिंदू धर्म में गंगा नदी बहुत पवित्र और पूजनीय मानी जाती है। पूजा में गंगाजल का उपयोग घर को और जगह को पवित्र करने के लिए किया जाता है।

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गंगा नदी को शिवाया इसलिए कहा जाता है क्योंकि वह शिव जी की जटाओं में समाहित हैं
मुख्य बातें
  • पवित्र नदियों में से एक मानी जाती है गंगा नदी
  • गंगा स्त्रोत में मिलते हैं गंगा जी के 108 नाम 
  • हर नाम से जुड़ी है एक रोचक कहानी 

हिंदू मान्यताओं के अनुसार गंगा नदी बहुत विशेष मानी जाती है। हिंदू धर्म शास्त्रों में इसका व्याख्यान किया गया है और इसके निर्मल स्वभाव की बात की गई है। हिंदू धर्म में गंगा नदी को मां का दर्जा दिया गया है और कहा जाता है कि यह बहुत ही पवित्र नदी है। इसीलिए गंगाजल का इस्तेमाल हर एक पूजा में घर और मंदिर को पवित्र करने के लिए किया जाता है।

लोग यह मानते हैं कि गंगा नदी में डुबकी लगाने से सभी पाप धुल जाते हैं और दुखों का निवारण होता है। जो लोग किसी बीमारी से जूझ रहे होते हैं उन्हें गंगा नदी में स्नान करने की सलाह दी जाती है।

गंगा नदी को कई नाम से पुकारा जाता है। जानकार बताते हैं कि गंगा स्त्रोत में गंगा नदी के 108 नाम मिलते हैं।

यहां जानिए गंगा नदी के प्रसिद्ध नाम और उनके पीछे जुड़ी कहानी-

जान्हवी
एक समय की बात है जब ऋषि जह्नु यज्ञ में लीन थे, तब गंगा की लहरों की वजह से उनका सारा सामान अस्त-व्यस्त हो गया था। यह देखकर ऋषि क्रोधित हो गए और क्रोध के आवेश में उन्होंने गंगा नदी का पूरा पानी पी लिया। ऋषि जह्नु के गुस्से को शांत करने के लिए गंगा मैया ने उनसे माफी मांगी। तब जाकर ऋषि जह्नु ने अपने कान के जरिए पूरे पानी को निकाल दिया था और गंगा को अपने बेटी मान लिया था। तबसे गंगा को जान्हवी भी कहते हैं।

शिवाया
गंगा नदी को शिवाया इसलिए कहा जाता है क्योंकि वह शिव जी की जटाओं में समाहित हैं।

पंडिता
गंगा नदी इतनी पवित्र है कि उसे पंडितों के समान पूजनीय माना जाता है। गंगा स्त्रोत में गंगा नदी का नाम पंडिता के नाम से वर्णित है।

मुख्या
भारत की नदियों में गंगा नदी सबसे मुख्य है इसलिए यह मुख्या नाम से भी प्रख्यात है।

हुगली
बंगाल प्रांत में घुसते ही गंगा नदी को हुबली कहा जाता है क्योंकि यह हुगली शहर के पास होकर गुजरती है। 

उत्तर वाहिनी
हरिद्वार से होते हुए गंगा नदी कई प्रांतों से होकर गुजरती है, काशी आकर गंगा नदी एक गोलाकार बनाती है जहां उसे उत्तर वाहिनी कहा जाता है।

मंदाकिनी
जानकार यह बताते हैं कि गंगा नदी को मंदाकिनी इसलिए कहा जाता है क्योंकि गंगा को आकाश की ओर जाने वाली नदी मानी गई है। आकाशगंगा भी गंगा का ही रूप है।

दुर्गाय
गंगा स्त्रोत में गंगा नदी को दुर्गाय कहा गया है क्योंकि वह देवी दुर्गा का स्वरुप हैं। 

त्रिपथगा
त्रिपथगा का शाब्दिक अर्थ है तीन राहों पर जाने वाली। गंगा नदी भगवान शिव की जटा से होकर धरती, आकाश और पाताल की तरफ जाती है इसीलिए इसे त्रिपथगा कहते हैं।

भागीरथी
गंगा जो पृथ्वी की तरफ आती है उसे भागीरथी कहा जाता है क्योंकि राजा भागीरथ के वजह से ही गंगा का जन्म धरती पर हुआ था। 

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