- 17 अक्टूबर से शुरू हो रहे हैं शारदीय नवरात्र
- पहले नवरात्र पर की जाती है घट स्थापना
- सुबह 06:27 से शुरू हो रहा है स्थापना मुहूर्त
Navratri Ghatasthapana 2020 : शारदीय नवरात्रि का पहला दिन 17 अक्तूबर को है। नवरात्रि शुरू होने से लेकर दसवीं तक सभी के घरों में विधिवत तरीके से मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-पाठ होती है। पहले नवरात्र में मां शैलपुत्री के पूजन के साथ ही घटस्थापना या कलश स्थापना भी की जाती है। इस स्थापना को विधिवत और मुहूर्त में करना चाहिए। साथ ही कलश स्थापना से जुड़े कुछ नियमों का पालन करना भी जरूरी है।
हालांकि, कोरोनावायरस के चलते इस बार सरकार ने पंडाल और सामूहिक रूप से डांडिया खेलने की अनुमति नहीं दी है। लेकिन लोग अपने घरों में इन 9 दिनों को पूरी खुशी व श्रद्धा के साथ मना सकते हैं। सनातन धर्म में नवरात्रि साल भर में 4 बार आती है जिनमें चैत्र व शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व होता है। वहीं दो गुप्त नवरात्रि भी आती है।
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त (Navratri Ghatasthapana 2020 Muhurat)
हिंदू संस्कृति में किसी भी शुभ काम को करने का एक शुभ मुहूर्त होता है, इसी तरह नवरात्रि में भी कलश स्थापना का शुभ दिन और शुभ मुहूर्त होता है। इस बार कलश की स्थापना नवरात्रि के पहले दिन 17 अक्टूबर को सुबह 06:27 से लेकर 10:13 बजे तक कर सकते हैं। वहीं घटस्थापना के लिए अभिजीत मुहूर्त प्रात:काल 11:44 से 12:29 तक रहेगा। ध्यान रहे कि नवरात्रि के प्रथम दिन ही घटस्थापना की जाती है।
घट स्थापना की सामग्री (Ghata or Kalash sthapana Samgri)
- जल से भरा हुआ पीतल, चांदी, तांबा या मिट्टी का कलश,
- पानी वाला नारियल
- नारियल पर लपेटने के लिए लाल कपडा या चुनरी
- रोली या कुमकुम
- आम के पेड़ के 5 से 7 पत्ते
- कलश ढकने के लिए ढक्कन और जौ
- लाल सूत्र/मौली,
- साबुत सुपारी, साबुत चावल और सिक्के
घट स्थापना की विधि (Ghata or Kalash sthapana Vidhi)
- घर के उत्तर पूर्व दिशा में किसी स्थान को अच्छी तरह साफ कर कलश स्थापित करें। उत्तर पूर्व पूजन के लिए सर्वोत्तम दिशा मानी जाती है।
- कलश स्थापित करने के लिए मुहूर्त में ही पहले श्रीगणेश की पूजा करके कलश स्थापित करें। जहां कलश स्थापित करना है वहां एक साफ लाल कपड़ा बिछाएं और नारियल पर मौली बांधें एवं कलश पर रोली या चंदन से स्वास्तिक बनाएं।
- कलश में गंगा जल भरें और इसमें आम के पत्ते, सुपारी,हल्दी की गांठ, दुर्वा, पैसे और आम के पत्ते डालें।
- यदि कलश के ऊपर ढक्कन रखना चाहती हैं तो ढक्कन में चावल भर दें, यदि कलश खुला है तो उसमें आम के पत्ते डाल दें।
- इसके बाद कलश के बीच में नारियल रखें और दीप जलाकर पूजा करें।
- ध्यान रहे कि मां दुर्गा की मूर्ति के दाईं तरफ कलश को स्थापित किया जाना चाहिए।
किस दिन किस देवी की पूजा (Navratri 2020 Calender)
नवरात्रि के 9 दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा होती है। 17 अक्टूबर यानी पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा होती है और उसी दिन घर में कलश स्थापना भी होती है। 18 अक्टूबर यानी दूसरे नवरात्र पर मां ब्रह्मचारिणी की पूजा होगी। 19 अक्टूबर यानी तीसरे नवरात्र को मां चंद्रघंटा की पूजा होगी। 20 अक्टूबर को मां कुष्मांडा की पूजा होगी। 21 अक्टूबर जानी पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा होगी। 22 अक्टूबर यानी छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा होगी।
23 अक्टूबर को मां कालरात्रि की पूजा होगी। मां कालरात्रि को देवी दुर्गा के सबसे क्रोधित रूप में जाना जाता है। 24 अक्टूबर को मां महागौरी की पूजा होगी। 25 अक्टूबर को मां सिद्धिदात्री की पूजा होगी।