- मां सिद्धिदात्री देवी भगवती का नौवां स्वरूप हैं।
- मां भगवती का यह स्वरूप दिव्य आकांक्षाओं को पूर्ण करने वाला है।
- भगवान शिव ने मां सिद्धिदात्री की पूजा कर सभी प्रकार की सिद्धियों को किया था प्राप्त।
Navratri 2021 9th Day Maa Siddhidatri Puja Vidhi and Mantra: नवरात्रि के नौवें यानि आखिरी दिन मां भगवती के नौवें स्वरूप देवी सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना का विधान है। मां सिद्धिदात्री अपने भक्तों को सभी प्रकार की शक्तियां प्रदान करती हैं। माता का यह स्वरूप सभी दिव्य आकांक्षाओं को पूर्ण करने वाला है। इस दिन विधि विधान से मां सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और रोग, शोक, एवं भय से मुक्ति मिलती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव ने मां सिद्धिदात्री की पूजा कर सभी प्रकार की सिद्धियों को प्राप्त किया था। माता की अनुकम्पा से भोलेनाथ का आधा शरीर देवी का हुआ था, इसी कारण वह इस लोक में अर्धनारीश्वर नाम से प्रसिद्ध हुए थे।
मां दुर्गा को क्यों लेना पड़ा सिद्धिदात्री का रूप, जानें माता के नौवें स्वरूप की पौराणिक कथा
माता की चारों भुजाओं में गदा, चक्र, डमरू और कमल का फूल विराजमान है। माता को बैंगनी रंग अत्यंत प्रिय है। इस दिन माता को नौ प्रकार के फूल अर्पित करने व मिठाई का भोग लगाने से माता जल्दी प्रसन्न होती हैं और भक्तों के सभी कष्टों का नाश करती हैं। भक्त इस दिन कन्या पूजन कर मां दुर्गा को विदा करते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कन्या पूजन के बिना नवरात्रि की पूजा अधूरी मानी जाती है। ऐसे में आइए जानते हैं मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, मंत्र, आरती और पौराणिक कथा के बारे में संपूर्ण जानकारी।
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Maa Siddhidatri Puja Vidhi, मां सिद्धिदात्री पूजा विधि
नवरात्रि की समाप्ति के साथ नवमी का दिन बेहद खास होता है। इस दिन रोजाना की तरह सूर्योदय से पहले स्नान कर साफ और सुंदर वस्त्र धारण करें। सर्वप्रथम गणेश पूजन और कलश पूजन कर मां सिद्धिदात्री की पूजा प्रारंभ करें। माता को पंचामृत से स्नान करवाएं। फिर माता को नौ प्रकार के फूल, अक्षत, कुमकुम, सिंदूर, पान, सुपारी आदि अर्पित करें और माता को हलवा, पूड़ी व चने का भोग लगाएं। इसके बाद मां सिद्धिदात्री की कथा का पाठ करें और फिर अंत में आरती कर कन्या पूजन करें, नौ कन्याओं को माता का प्रसाद खिलाएं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दो से दस वर्ष तक की कन्या में मां दुर्गा साक्षात वास करती हैं। इस तरह मां सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना करने से माता जल्दी प्रसन्न होती हैं और भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं।
Maa Siddhidatri Puja Mantra, मां सिद्धिदात्री पूजा मंत्र
सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि,
सेव्यमाना सदा भूयात सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।
ओम सिद्धिदात्र्यै नम:।
विद्या: समस्तास्तव देवि भेदा:
स्त्रिय: समस्ता: सकला जगत्सु।
त्वयैकया पूरकिम्बयैतत्
का ते स्तुति: स्तव्यपरा परोक्ति:।।
सर्वभूता यदा देवी स्वर्गमुक्ति प्रदायिनी।
त्वं स्तुता स्तुतये का वा भवन्तु परमोक्तय:।।
नन्दगोप गृहे जाता योशोदा-गर्भ-सम्भवा।
ततस्तौ नाशयिष्यामि, विन्ध्याचल निवासिनी।।
या देवी सर्वभूतेषु मां सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
Maa Siddhidatri Aarti in hindi, मां सिद्धिदात्री आरती लिखित में
जय सिद्धिदात्री मां, तू भक्तों की दाता।
तू भक्तों की रक्षक, तू दासों की माता।
तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि।
कठिन काम सिद्ध करती हो तुम।
जभी हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम।
तेरी पूजा में तो ना कोई विधि है।
तू जगदम्बे दाती तू सर्व सिद्धि है।
रविवार को तेरा सुमिरन करे जो।
तू सब काज उसके करती है पूरे।
कभी काम उसके रहे ना अधूरे।
तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया।
रखे जिसके सिर पर मैया अपनी छाया।
सर्व सिद्धि दाती वह है भाग्यशाली।
जो हैं तेरे दर का ही अंबे सवाली।
हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा।
महा नंदा मंदिर में है वास तेरा।
मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता।
भक्ति है सवाली तू जिसकी दाता।
Maa Siddhidatri vrat katha, मां सिद्धिदात्री की पौराणिक कथा
वौदिक शास्त्र के अनुसार भगवान शिव ने मां सिद्धिदात्री की पूजा कर सभी प्रकार की सिद्धियों को प्राप्त किया था। तथा उनका आधा शरीर नारी का हो गया था, इसलिए उन्हें अर्धनारेश्वर के नाम से जाना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार जब पूरे ब्रम्हांड में अंधेरा था यानि कोई संकेत नहीं था, तब उस अंधकार से भरे ब्रम्हांड में ऊर्जा का एक छोटा सा किरण प्रकट हुआ, धीरे धीरे इस किरण ने अपना बड़ा आकार लेना शुरु किया और अंत में इसने एक दिव्य नारी का रूप धारण किया। यह कोई और नहीं बल्कि स्वंय मां सिद्धिदात्री थी। मां सिद्धिदात्री ने प्रकट होकर त्रिदेवों को जन्म दिया, तब ब्रह्मा, विष्णु और महेश प्रकट हुए। मान्यता है कि माता ने सृष्टि का निर्माण किया था।
वहीं दूसरी पौराणिक कथा के अनुसार जब सभी देवी देवता महिषासुर के अत्याचार से परेशान हो गए थे। तब त्रिदेवों ने अपने तेज से मां सिद्धिदात्री को जन्म दिया था। जिन्होंने महिषासुर का वध कर तीनों लोक को महिषासुर के अत्याचार से बचाया था।