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नवरात्रि में अष्टमी के दिन ऐसे करें कन्या पूजन, जानिए पूजा का विधि-विधान और पूजन सामग्री लिस्ट

Updated Apr 19, 2021 | 18:39 IST

Navratri Mahashtami muhurat Puja vidhi: नवरात्रि में महाष्टमी के दिन अमूमन कन्या पूजन किया जाता है। इस बार महाष्टमी 20 अप्रैल को है।

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तस्वीर साभार:&nbspTimes Now
नवरात्रि अष्टमी पूजन विधि,मुहूर्त, मंत्र,पूजन सामग्री लिस्ट
मुख्य बातें
  • नवरात्रि नौ दिनों का होता है जिसमें नौ देवियों की पूजा होती है
  • नवरात्रि में अष्टमी के दिन मां महागौरी की पूजा होती है
  • इस बार महाष्टमी 20 अप्रैल और राम नवमी 21 अप्रैल को है

नई दिल्ली : नवरात्र में नौ देवियों की पूजा का महत्व है। नवरात्र में अष्टमी के दिन कन्या पूजन होता है। इस दिन एक खास विधि विधान के साथ पूजा की जाती है।  महाष्टमी इस बार 20 अप्रैल को है जबकि रामनवमी 21 अप्रैल को मनाई जाएगी। हिंदू धर्म में नवरात्र एक बड़ा महापर्व है जिसमें बड़ी श्रद्धा के साथ 9 अलग अलग देवियों की रोजाना अराधना की जाती है।

नवरात्रों में आम तौर पर अष्टमी तिथि को कन्या पूजन होता है लेकिन कुछ जगहों पर नवमी को भी कन्या पूजन होता है। नवरात्रि के नौ दिनों के महापर्व में कन्या पूजन का विशेष स्थान है। मां दुर्गा के भक्त उनका आर्शीवाद पाने के लिए कन्या पूजन करते हैं। 2021 में 20 अप्रैल को अष्टमी और 21 अप्रैल को नवमी यानी रामनवमी तिथि है। नवमी तिथि पर राम नवमी का पर्व भी मनाया जाता है इस दिन श्री राम का जन्म हुआ था।

कन्या पूजन सामग्री लिस्ट

जल- सबसे पहले जल से कन्याओं के पैर धोएं। 
इसके लिए बिल्कुल साफ जल का उपयोग करें और आप चाहें तो गंगाजल भी ले सकते हैं।

स्वच्छ कपड़ा-कन्याओं के पैर धोने के बाद स्वच्छ कपड़े से पोछे।
रोली-कन्याओं के माथे पर रोली से तिलक लगाएं।

चावल- रोली के साथ-साथ कन्याओं के माथे पर अक्षत भी लगाएं।
कलावा-फिर उनके बाये हाथ में कलावा बांधे।
पुष्प-कन्याओं पर पुष्प भी चढ़ाएं।
चुन्नी-कन्याओं को चुन्नी उढ़ाएं।

फल- इच्छा अनुसार कन्याओं को फल खिला सकते हैं।
मिठाई- कन्याओं का मुंह मीठा करने के लिए मिठाई भी खिलाएं।

भोजन सामग्री-हलवा, पूड़ी, चने, खीर आदि कन्याओं के लिए बनाएं।

दक्षिणा देना नहीं भूले। पूजन के बाद कन्या से आर्शीवाद लें और उन्हें दक्षिणा भी दें। कन्याओं को दक्षिणा देने से मां दुर्गा की कृपा मिलती है।

नवरात्र अष्टमी कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त 

पंचांग के अनुसार 20 अप्रैल मंगलवार को रात्रि 12 बजकर 02 मिनट के बाद से अष्टमी की तिथि शुरू होगा। 21 अप्रैल रात्रि 12 बजकर 47 मिनट पर अष्टमी की तिथि का समापन होगा और  इसके बाद नवमी की तिथि आरंभ होगी। इसलिए पूजा के लिए यही शुभ मुहूर्त है और पूजा इसी मुहूर्त के अंदर कर लें। 

मंत्र

- श्वेते वृषे समारूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचि:.
   महागौरी शुभं दद्यान्त्र महादेव प्रमोददो.
- या देवी सर्वभूतेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता.
   नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:.
-  ओम महागौरिये: नम:.

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