- त्वचा रोग से मुक्ति के लिए शिव जी को चढ़ाते हैं झाडू
- व्यापारी ने करवाया था 150 साल पुराने मंदिर का निर्माण
- सोमवार के दिन विशेष रूप से भक्त शिवजी के दर्शन को आते हैं
देवों के देव महादेव माने गए हैं। ये बात भी सत्य है कि शिव अत्यंत भोले हैं और सच्चे मन से उन्हें याद कर लेने भर से वह प्रसन्न हो जाते हैं। मन में श्रद्धा का भाव ही वह देखते हैं और शायद यही कारण है कि उनके पातालेश्वर मंदिर में लोग रोग-ब्याद से मुक्ति के लिए उन्हें टोटके के रूप में झाड़ू चढ़ाते हैं।
मान्यता है कि इस झाडू को चढ़ाने के पीछे एक लोक कथा है और इस कथा के अनुसार झाड़ू चढ़ाने वाले के रोग दूर होते है। तो आइए जानें इस मंदिर की खासियत, लोक कथा और ऐसे रोग, जो यहां जाकर ठीक हो जाते हैं।
मुरादाबाद और आगरा के बीच स्थित है पातालेश्वर महादेव का मंदिर
पातालेश्वर महादेव का मंदिर एक छोटे से गाँव सदत्बदी में है। ये गांव मुरादाबाद और आगरा राजमार्ग के बीच में पड़ता है। पातालेश्वर महादेव का ये बहुत ही प्राचीन मंदिर है। 150 वर्ष पुराने इस मंदिर में कहा जाता है कि सोमवार के दिन आना विशेष फलदायी होता है।
त्वचा रोग से मुक्ति के लिए चढ़ता है झाड़ू
मान्यता है कि यदि किसी को किसी भी तरह का त्वचा रोग है तो उसे इस मंदिर में जरूर आना चाहिए। यहां आने वाले भक्त यदि सोमवार के दिन शिवजी को झाडू भेंट करें तो उनके गंभीर से गंभीर त्वचा रोग ठीक हो जाते हैं। यही कारण है कि यहां सोमवार को भारी भीड़ होती है। आपको बता दें कि मंदिर में एक शिवलिंग है और उन्हीं को ये झाड़ू अर्पित की जाती है।
जानें क्या है इस मंदिर से जुड़ी लोककथा
एक समय इस गांव में भिखारीदास नामक व्यापारी रहता था। व्यापारी धन के मामले में तो बहुत भाग्यशाली था लेकिन त्वचा के मामले में वह बेहद अभाग्यशाली। वह एक गंभीर त्वचा रोग से पीड़ित था। उसके शरीर पर बहुत सारे काले धब्बे पड़ गये थे और उसमें उसे बहुत पीड़ा भी होती थी। एक दिन वह वैद्य से उपचार कराने जा रहा था कि रास्ते में उसे प्यास लगी। एक आश्रम देख व्यापारी वहां पानी की आस में पहुंचा। तभी अचानक से आश्रम की सफाई कर रहे महंत के झाड़ू से उसके शरीर का स्पर्श हो गया। झाड़ू के स्पर्श होने के क्षण भर के अंदर ही भिखारीदास का त्वचा रोग गायब हो गया।
ये देख उसने महंत से चमत्कार के बारे में पूछा तो उसने कहा कि वह भगवान शिव का प्रबल भक्त है। यह चमत्कार उन्हीं की वजह से हुआ है। भिखारीदास ने महंत को खुश हो कर सोने की अशर्फियों से भरी थैली देने लगा लेकिन मंहत ने मना कर दिया। महंत ने कहा कि यदि कुछ करना है तो आश्रम के स्थान पर शिव मंदिर का निर्माण करा दे। तब व्यापारी ने शिव मंदिर का निर्माण करवा दिया और लोग यहां उनके आशीर्वाद पाने के लिए आने लगे।