- यदि घर में लगातार हो रही हों अप्रिय घटनाएं
- असमय मृत्यु या आत्महत्या से लगता है पितृ दोष
- पारिवारिक अशांति और मानसिक कष्ट हैं इसके लक्षण
पितृदोष में कुछ खास तरह की समस्याएं या लक्षण अधिकतर मनुष्य में देखने को मिलते हैं। पितृ दोष बहुत ही गंभीर और कष्ट देने वाला होता है। जिसकी कुंडली में ये दोष होता है उस मनुष्य का मन और मस्तिष्क कभी शांत नहीं रहता है और न ही उसके साथ रहने वाले सुखी रह सकते हैं। इसलिए यह जरूरी है कि पितृदोष के लक्षण को पहचाना जाए और उस अनुसार उपाय कर इस दोष को शांत किया जाए। यहां आपको कुछ ऐसे ही लक्षण बताने जा रहे हैं, जिससे आप पहचान सकते हैं कि कुंडली में पितृ दोष है या नहीं।
इन तरह पहचानेंं पितृदोष के लक्षण
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पितृ दोष कई कारणों से बनता है। कई बार ग्रह दोष के कारण भी पितृदोष लगता है। खास तौर पर सूर्य, चंद्रमा, बृहस्पति और शुक्र अगर किसी पाप ग्रह के बीच में आ जाएं तो पितृ दोष लगता है।
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किसी परिवार में किसी व्यक्ति की असमय मृत्यु हो गई हो, खास तौर से एक्सीडेंट, गंभीर बीमारी, पानी में डूबने, आग से जलकर या आत्महत्या से तो अतृप्त आत्माएं मनुष्य या परिवार पर पितृ दोष का कारण बनती हैं। यदि इनकी मृत्यु के बाद विशेष पूजा कर दी जाए तो यह आत्माएं मुक्त हो जाती हैं और पितृदोष नहीं लगता।
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यदि आपका अपने परिवार में हमेशा मतभेद रहता है या विवाद की स्थिति रहती है तो ये पितृ दोष के लक्षण होते हैं। खास कर पिता और पुत्र का संबंध बेहतर न हो तो ये पितृ दोष का कारण होता है।
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यदि आपके कोई भी काम सफल नहीं होते या बनते-बनते रह जाते हैं तो आपको पितृ दोष हो सकता है।
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जिन घरों में हमेशा मनहूसियत छाई रहती है या बुरी घटनाएं ही होती हैं तो ऐसे परिवार पर पितृ दोष हो सकता है।
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यदि किसी मनुष्य को बेवजह मानसिक कष्ट मिलता हो या उसे मानसिक शांति न मिल रही हो तो ये पितृ दोष का लक्षण हो सकता है।
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आपकी तमाम मेहनत के बाद आपका काम बिगड़ जाए या कोई शुभ कार्य होने जाए और अशुभता हो जाए तो ये पितृ दोष का लक्षण होता है।
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आपका धन गैर जरूरी कामों में चला जाता हो, तो पितृदोष की जांच जरूर करा लें।
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पुत्र या पुत्री के शिक्षित और आत्मनिर्भर होने के वाबजूद भी उनके रोजगार या विवाह में देरी हो अथवा कोई बाधा आए तो ये पितृ दोष का कारण होता है।
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यदि आपके परिवार में वंश वृद्धि न हो या पेट में ही भ्रूण नष्ट हो जाए तो ये पितृ दोष का लक्षण है।
इन उपायों से पाएं इस बाधा से मुक्ति
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पूर्वजों का स्मरण करते हुए ऊं पितराय नम: मंत्र का 21 बार प्रतिदिन जपा करें।
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हर एकादशी, चतुर्दशी, अमावस्या, रविवार और गुरुवार के दिन पितरों को जल दें और उनसे क्षमा याचना करें।
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पितृ पक्ष में तांबे के लोटे में काला तिल, जौ और लाल फूल मिला कर दक्षिण दिशा की ओर मुख कर पितरों को जल चढ़ाएं।
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सूर्य को अर्घ्य देते समय ऊं सूर्याय नम: मंत्र का 21 बार जाप करना चाहिए।
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हर अमावस्या के दिन त्रिपंडी श्राद्ध करें।
ये कुछ उपाय और लक्षण हैं जो आपको पितृ दोष के बारे में बताते हैं और उससे मुक्ति दिलाते हैं। इन्हें पूरी श्रद्धा के साथ करें।