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Ram Mandir Bhoomi Pujan : राम लला को साष्टांग प्रणाम क‍िया प्रधानमंत्री मोदी ने, जानें क्‍या है इसका महत्‍व

Updated Aug 05, 2020 | 13:20 IST

Sashtang Dandvat Pranam Ka Arth : राम मंद‍िर भूम‍ि पूजन के ल‍िए अयोध्‍या पहुंचे प्रधानमंत्री मोदी ने राम लला को साष्टांग प्रणाम क‍िया। वह ऐसा पहले भी कर चुके हैं। जानें क्‍या है इस प्रणाम का महत्‍व।

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Kya hota hai sashtang dandvat pranam, क्‍या होता है साष्टांग प्रणाम
मुख्य बातें
  • अयोध्‍या में राम मंद‍िर की नींव रखी गई है
  • प्रधानमंत्री मोदी भी इस आयोजन के ल‍िए पहुंचे
  • राम लला के दर्शन के समय मोदी ने साष्टांग प्रणाम क‍िया

राम नगरी अयोध्‍या में आज राम मंद‍िर का श‍िलान्‍यास हुआ है। इस ऐत‍िहासिक आयोजन में प्रधानमंत्री मोदी भी खासतौर पर शामिल थे। अयोध्‍या में पहले प्रधानमंत्री मोदी ने हनुमान गढ़ी के दर्शन क‍िए और फ‍िर राम लला के दर्शन क‍िए। इस दौरान उन्‍होंने श्री राम को साष्टांग दंडवत प्रणाम क‍िया और इस तरह उनके साथ पूरा देश राममय हो गया। यहां जानें क्‍या होता है साष्टांग प्रणाम। 

कहां से आया है साष्टांग या फ‍िर दंडवत प्रणाम 
शास्त्रों में दंडवत प्रणाम को साष्टांग प्रणाम भी कहा जाता है। दरअसल बांस को दंड भी कहा जाता है। जब इसे धरती पर रखा जाए तो उस मुद्रा को दंडवत कहा जाता है। इसी तरह जब हम धरती पर लेटकर नमन करते हैं तो उस मुद्रा को दंडवत प्रणाम कहते हैं। साष्‍टांग इसल‍िए कहते हैं क्‍योंक‍ि इस दौरान शरीर के छह महत्‍वपूर्ण अंगों का स्‍पर्श सीधा भूम‍ि से होता है। 

क्‍या है दंडवत प्रणाम का अर्थ 
दंडवत प्रणाम करते समय व्‍यक्‍त‍ि अपना अहम त्‍याग कर अपने श्रद्धेय को समर्पित हो जाता है। इसकी एक कड़ी कछुए से जोड़ी जाती है। माना जाता है क‍ि दंडवत प्रणाम की मुद्रा में व्‍यक्‍त‍ि अपनी पांचों ज्ञानेंद्रियों और पांचों कर्मेद्रियों को कछुए की भां‍त‍ि समेट कर आत्‍म न‍िवेदन और मौन श्रद्धा के भाव में रहता है। इसका अर्थ है क‍ि उसने पूरी तरह अपने श्रद्धेय के सामने आत्‍म समर्पण कर द‍िया है। 

क्‍यों बनाई गई है मंद‍िरों में ये परंपरा 
प्रधानमंत्री से पहले भी आपने कई पूजा स्‍थलों पर भक्‍तों को इस तरह अपने पूज्‍य के आगे दंडवत होते देखा होगा। इस परंपरा को बनाने का अर्थ यही है क‍ि व्‍यक्‍त‍ि वहां मौजूद सकारात्‍मक ऊर्जा को आत्‍मसात करे और अपने अंदर के तमाम दुर्गुणों का त्‍याग कर दे।  
 

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