- शाम की पूजा के दौरान कुछ विशेष सावधानियां बरतनी चाहिए
- इस समय फूल नहीं तोड़ने चाहिए
- शंख या घंटी भी इस समय नहीं बजाने चाहिए
घर में अगर सुबह-शाम पूजा हो तो इसमें शांति का वास होता है। लेकिन काम के चक्कर में अक्सर सुबह की पूजा छूट जाती है। ऐसे में शाम के समय की पूजा का महत्व और बढ़ जाता है। लेकिन इस समय की पूजा के भी कुछ नियम हैं जो संध्या पूजन को सुबह की पूजा से अलग करते हैं।
कैसे अलग है सुबह और शाम का पूजन
प्रचलित जानकारी के अनुसार, सुबह के समय दैवीय शक्तियां बलवान होती हैं जबकि शाम के समय आसुरी। इस तरह दोनों समय की पूजा का महत्व है। सुबह के समय भगवान को प्रसन्न करने के पूजन करें तो शाम को आसुरी प्रभाव कम करने के लिए पूजा करें।
क्या है शाम की पूजा का समय
शाम का पूजन सूर्य के अस्त होने के बाद और अंधेरा होने से पहले करना चाहिए। इस पहर को संध्या कहा जाता है।
किन नियमों का रखें ध्यान / Evening Puja Rules
- शाम के पूजन में कभी भी शंख या घंटियां नहीं बजानी चाहिए। इस समय में देवी देवता सोने चले जाते हैं।
- शाम की पूजा में दो दीपक जलाएं। एक घी का और एक तेल का।
- शाम को सूर्य देव का पूजन नहीं किया जाता है।
- शाम को फूल आदि नहीं तोड़ने चाहिए। पूजा के लिए इनको या तो पहले तोड़ लें या बेहतर होगा कि इनको इस समय की पूजा में शामिल ही न करें।
- रात को पूजा स्थल का पर्दा कर देना चाहिए ताकि भगवान के विश्राम में बाधा उत्पन्न न हो। एक बार कपाट बंद करने के बाद भोर के समय ही इनको खोलें।
तो अब से संध्या में इन नियमों के साथ पूजन करें और इसका फल भी भोगें।