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Sawan Kanwar Yatra 2022: कब से शुरू हो रही है सावन कांवड़ यात्रा, जानिए इससे जुड़ी रोचक बातें

Updated Jun 29, 2022 | 16:50 IST

Importance of Kanwar Yatra: भगवान भोलेनाथ का सबसे प्रिय महीना सावन का महीना होता है। इस साल सावन 14 जुलाई से शुरू हो रहा है, जो 12 अगस्त तक रहेगा। सावन के महीने में शिव भक्त कांवड़ यात्रा निकालते हैं। 14 जुलाई से ही कावड़ यात्रा निकाली जाएगी।

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तस्वीर साभार:&nbspInstagram
Sawan Kanwar 2022
मुख्य बातें
  • सावन भगवान भोलेनाथ का सबसे प्रिय महीना होता है
  • सावन का महीना भगवान भोलेनाथ को समर्पित होता है
  • सावन का महीना भगवान भोलेनाथ के भक्तों के लिए भी सबसे खास महीना होता है

Sawan Kanwar Yatra 2022 : सावन का महीना 14 जुलाई से शुरू होने वाला है जो 12 अगस्त तक रहेगा। इस बार सावन के चार सोमवार व्रत पड़ रहे हैं। सावन सोमवार का पहला व्रत 18 जुलाई को है। सावन भगवान भोलेनाथ का सबसे प्रिय महीना होता है। सावन का महीना भगवान भोलेनाथ को समर्पित होता है। सावन का महीना भगवान भोलेनाथ के भक्तों के लिए भी सबसे खास महीना होता है। इस महीने शिव भक्त जी जान से भगवान भोलेनाथ की आराधना में लीन हो जाते हैं।

सावन के महीने में शिव कांवड़ यात्रा का आयोजन करते हैं। हर साल लाखों भक्त भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए हरिद्वार बाबा धाम और गंगोत्री धाम की यात्रा करते हैं। इन तीर्थ स्थलों से गंगा जल से भरे कांवड़ को अपने कंधों पर रखकर पैदल जाते हैं और फिर वह गंगाजल भगवान शिव जी को चढ़ाया जाता है। इस साल कांवड़ यात्रा 14 जुलाई से शुरू होगी। आइए जानते हैं क्या होती है कांवड़ यात्रा और कितने प्रकार की होती हैं।

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जानिए क्या होती है कांवड़ यात्रा

सावन के महीने में भगवान भोलेनाथ के भक्त कांवड़ यात्रा का आयोजन करते हैं और इस कांवड़ यात्रा में लाखों श्रद्धालु भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए हरिद्वार और गंगोत्री धाम की यात्रा करते हैं। उसके बाद इन तीर्थ स्थलों से गंगा जल से भरी कांवड़ को अपने कंधों पर रखकर पैदल आते हैं। इसके बाद वह गंगाजल भगवान शिव को चढ़ाया जाता है। इस यात्रा को कांवड़ यात्रा कहा जाता है। पहले लोग पैदल ही कांवड़ यात्रा करते थे जबकि अब बाइक व गाड़ी से यात्रा करते हैं।

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जानिए, कितने प्रकार की होती है कांवड़

कांवड़ तीन प्रकार के होते हैं। झूला कांवड़, खड़ी कांवड़ व डाक कांवड़। आजकल लोग ज्यादा झूला कांवड़ ले जाते हैं, क्योंकि यह लें जाने में काफी आसान होता है। इसे कहीं भी आराम से टांग कर आराम किया जा सकता है। हालांकि कांवड़ को हटाने के बाद इसे दोबारा शुद्ध करके उठाना पड़ता है।

खड़ी कांवड़ थोड़ा मुश्किल होता है। कांवड़ को जमीन पर नहीं रखा जा सकता है और न ही कहीं टांगा जा सकता है। ऐसे में आराम करने के लिए इस कांवड़ को अपने सहयोगी को देना पड़ता है। डाक कांवड़ सबसे मुश्किल कांवड़ मानी जाती है।

(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)

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