- सावन के तीसरे सोमवार शिवजी की पूजा का विशेष महत्व
- तीसरा सावन सोमवारी का व्रत है बेहद खास
- शिवजी को अतिप्रिय है तीन अंक
Sawan Third Somvari Puja Importance: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सोमावर का दिन भगवान शिवजी की पूजा के लिए समर्पित होता है। लेकिन सावन माह में पड़ने वाले सोमवार का महत्व और अधिक बढ़ जाता है। क्योंकि यह माह भगवान का प्रिय माह होता है। इसलिए सनातन धर्म में सावन में पड़ने वाले सोमवार व्रत का विशेष महत्व होता है। भगवान शिवजी को तीन अंक प्रिय होता है, इसलिए भी तीसरे सोमवार को खास माना जाता है। इस दिन किए गए पूजा-पाठ और व्रत से भगवान प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं। जानते हैं भगवान शिव के तीन अंक का रहस्य और सावन की तीसरी सोमवारी के बारे में।
शिवजी को प्रिय है तीन अंक
आमतौर पर तीन अंक को शुभ नहीं माना जाता है। लेकिन भगवान शिव का तीन अंक के साथ गहरा नाता है। उन्हें तीन अंक अतिप्रिय है। क्योंकि शिवजी की हर चीज तीन अंक से जुड़ी हुई है। भगवान शिव के त्रिशूल में तीन शूल, शिवजी की तीन आंखे जिस कारण उन्हें त्रिनेत्रधारी भी कहा जाता है। शिवजी के मस्तिष्क पर तीन रेखाओं वाला त्रिपुंड और तीन पत्ते वाला बेलपत्र जिसके बिना शिवजी की कोई भी पूजा अधूरी मानी जाती है। शिवजी के इन तीन अंक से जुड़ी चीजों से कई पौराणिक और प्रचलित कथाएं भी मिलती है।
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शिवजी के तीन शूल वाले त्रिशूल
भगवान शिव के प्रतीकों में एक है त्रिशूल। इसमें आकाश, धरती और पाताल शामिल हैं। धार्मिक ग्रंथों में भगवान शिव के त्रिशूल को तीन गुणों जैसे तामसिक, राजसिक और सात्विक गुण से जोड़ा गया है।
त्रिनेत्रधारी- भगवान शिव ऐसे देव हैं जिनके तीन नेत्र हैं। इस कारण उन्हें त्रिनेत्रधारी भी कहा जाता है। हालांकि शिवजी की अपनी तीसरी नेत्र कुपित होने पर ही खोलते हैं। शिवजी का ये नेत्र ज्ञान और अंतर्दृष्टि का प्रतीक माना जाता है।
शिवजी के मस्तक पर तीन रेखाएं- शिवजी के माथे पर तीन रेखाएं है जिसे त्रिपुंड भी कह जाता है। इसमें आत्मशरक्षण, आत्मप्रचार और आत्मबोध शामिल आते हैं।
तीन पत्ते वाला बेलपत्र- शिवजी को तीन पत्ते वाला बिल्वपत्र या बेलपत्र अतिप्रिय होता है। इसके बिना भगवान शिवजी की कोई भी पूजा अधूरी मानी जाती है। इसलिए शिवजी को पूजा में बेलपत्र जरूर चढ़ाना चाहिए।
क्यों खास है सावन का तीसरा सोमवार
सावन माह में पड़ने वाले तीसरे सोमवार के दिन भगवान शिव के तीन स्वरूपों नीलकंठ, नटराज और मृत्युंजय की पूजा का विधान है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस सृष्टि में तीन गुण सत, रज और तम हैं। इन तीनों गुणों को मिलाकर ही सृष्टि का निर्माण हुआ है। इसलिए शिवभक्तों के लिए सावन के तीसरी सोमवारी के दिन पूजा और व्रत रखना लाभकारी माना गया है।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)