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Putrada Ekadashi 2022: 8 अगस्त को मनाई जाएगी पवित्रा और पुत्रदा एकादशी, जानिए क्यों रखा जाता है यह व्रत

Updated Aug 02, 2022 | 07:46 IST

Sawan Putrada Ekadashi 2022: हिंदू धर्म में पुत्रदा एकादशी का विशेष महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल पुत्रदा एकादशी का व्रत 8 अगस्त को रखा जाएगा। इसे पवित्रा एकादशी भी कहते हैं। यह व्रत संतान प्राप्ति के लिए रखा जाता है।

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तस्वीर साभार:&nbspInstagram
Putrada Ekadashi
मुख्य बातें
  • एकादशी हर महीने में दो बार पड़ती है, एक कृष्ण पक्ष में और एक शुक्ल पक्ष में
  • एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित होता है
  • इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने वालों की हर मनोकामना पूरी होती है

Sawan Putrada Ekadashi 2022 Shubh Muhurat: सावन महीने के शुक्ल पक्ष में पढ़ने वाली एकादशी को पुत्रदा एकादशी कहा जाता है। इसे पवित्रा एकादशी भी कहते हैं। इस साल पुत्रदा एकादशी का व्रत हिंदू पंचांग के अनुसार 8 अगस्त को रखा जाएगा। हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व बताया गया है। एकादशी हर महीने में दो बार पड़ती है। एक कृष्ण पक्ष में और एक शुक्ल पक्ष में। एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित होता है। हिंदू मान्यता के अनुसार एकादशी का व्रत रखने वाले व इस दिन भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा करने वालों की हर मनोकामना पूरी होती है। ऐसे ही पुत्रदा एकादशी का व्रत रखने वाले व्यक्ति को संतान सुख की प्राप्ति होती है। इस व्रत को रखने से निसंतान को संतान की प्राप्ति होती है। पुत्रदा एकादशी का व्रत रखने से भगवान विष्णु की विशेष कृपा बनी रहती है। आइए जानते हैं पुत्रदा एकादशी का व्रत क्यों रखा जाता है व इसके शुभ मुहूर्त के बारे में..

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जानिए, शुभ मुहूर्त
श्रावण पुत्रदा एकादशी का व्रत 8 अगस्त दिन सोमवार को किया जाएगा। श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी का प्रारंभ 7 अगस्त 2022 दिन रविवार रात 11:50 से होगा। एकादशी तिथि का समापन 8 अगस्त 2022 दिन सोमवार को रात 9:00 बजे होगा। पुत्रदा एकादशी का पारण 9 अगस्त 2022 दिन मंगलवार को 5:46 से 8:26 तक होगा।

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ऐसे करें पूजा
इस व्रत को रखने वाले व्यक्ति को नहाते वक्त गंगाजल मिलाकर स्नान करना चाहिए। इस पूजा के लिए भगवान श्री विष्णु की फोटो सामने रख कर दिया जलाकर व्रत का संकल्प लेकर कलश स्थापना करनी चाहिए। फिर उसका कलश को लाल वस्त्र से बांधकर उसकी पूजा करें। भगवान विष्णु की प्रतिमा रखकर उसे स्नानादि से शुद्ध कर नया वस्त्र पहनाएं। इसके बाद धूप, दीप आदि से विधिवत भगवान श्री विष्णु की पूजा अर्चना तथा आरती करें।

वह भगवान विष्णु को फलों का भोग लगाकर प्रसाद बांटे। भगवान विष्णु को अपने सामर्थ्य अनुसार पुष्प, नारियल, पान, सुपारी, लौंग, बैर, आंवला आदि अर्पित करें। एकादशी की रात्रि में भजन कीर्तन करते हुए समय व्यतीत करें। इस दिन दीपदान का विशेष महत्व है। इस दिन दीपदान अवश्य करें।

(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)
 

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