- शरद पूर्णिमा का बड़ा धार्मिक महत्व माना जाता है
- इस दिन चंद्रमा को सोलह कलाओं से पूर्ण माना जाता है
- शरद पूर्णिमा की रात को चांद की रोशनी में खीर रखने की परंपरा है
आश्विन माह की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा या कोजागिरी पूर्णिमा कहा जाता है। हिंदू धर्म में इस त्यौहार का बहुत महत्व है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन चंद्र देव अपनी सोलह कलाओं में दिखाई देते हैं। इसके अलावा कुछ लोकगीतों में इस त्यौहार को भगवान कृष्ण, देवी लक्ष्मी और इंद्र देव के साथ भी जोड़कर देखा जाता है। कुछ समुदाय इस त्यौहार को फसल के त्योहार के रूप में मनाते हैं क्योंकि यह शरद पूर्णिमा बारिश के मौसम के अंत का प्रतीक माना जाता है।
खीर का क्या है महत्व (Sharad Purnima Kheer Mahatva)
ऐसा माना जाता है कि शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रदेव से कुछ ऐसी किरणें पृथ्वी पर आती हैं जो हमारे सभी बिमारियों को दूर कर देती हैं। इसलिए, इस दिन लोग स्वादिष्ट मीठी खीर बनाकर एक चांदी के कटोरे में डालकर खुले आसमान के नीचे रात भर के लिए रख देते हैं। ऐसा माना जाता है कि सुबह उठकर इस खीर को खा लेने से शरीर की गंभीर से गंभीर बीमारी भी दूर हो जाती है।
वैज्ञानिक आधार भी करते हैं पुष्टि (Sharad Purnima Kheer scientific reason)
इस घटना की पुष्टि वैज्ञानिक भी करते हैं ऐसा माना जाता है कि दूध समय के साथ लैक्टिक एसिड का निर्माण करता है जो अच्छे बैक्टीरिया का उत्पादन करते हैं। इसमें जब चंद्रमा की रोशनी पड़ती है तो यह दूध और भी पौष्टिक हो जाता है। इसके अलावा खीर में चावल भी होता है जो स्टार्च का सबसे बड़ा स्त्रोत है। स्टार्च हमारे शरीर से सूजन को कम करता है आंत की बीमारियों को दूर करता है तथा और कई प्रकार की गंभीर शारीरिक रोगों से लड़ने में मदद करता है। इस खीर को अस्थमा के रोगियों के लिए भी फायदेमंद बताया गया है।
ऐसे बनाएं खीर (Sharad Purnima Kheer recipe)
इस दिन आपको थोड़ा सा विशेष खीर बनाना चाहिए। सबसे पहले दूध को अच्छी तरह से पका लें, उसके बाद उसमें काजू ,बादाम, गरी, किशमिश इत्यादि सूखे मेवे डाल कर एक अच्छी किस्म के चावल के साथ अच्छी तरह से पकाएं। खीर को जितना देर तक मध्यम आंच पर पकाएंगे उसका स्वाद उतना ही बेहतर होगा।