- मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में नर्मदा नदी पर मौजूद मांधाता द्वीप पर स्थित है श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर।
- सावन मास में श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के दर्शन करने से होती है भक्तों की मनोकामनाएं पूरी।
- पौराणिक परंपरा के अनुसार, आरती के समय बंद कर दिए जाते हैं मंदिर के पट, भक्तों को नहीं है आरती देखने की अनुमति।
Shri Omkareshwar Jyotirlinga Temple: मध्य प्रदेश राज्य के निर्मल नर्मदा नदी के बीच मांधाता नामक द्वीप पर स्थित श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर पूरे विश्व में प्रख्यात है। यह मंदिर इतना भव्य है कि हर साल लाखों श्रद्धालु यहां भगवान शिव तथा माता पार्वती के दर्शन करने आते हैं। सावन के महीने में इस द्वीप की रौनक और बढ़ जाती है। यह एक ऐसा मंदिर है जहां भगवान शिव दो ज्योतिर्लिंग के रूप में मौजूद हैं।
कहा जाता है कि ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने से भगवान शिव के साधकों को ममलेश्वर शिवलिंग के दर्शन करने का सौभाग्य भी प्राप्त होता है। ओंकारेश्वर शिवलिंग जहां मांधाता द्वीप पर स्थित है वहीं कुछ ही दूरी पर नर्मदा नदी के दक्षिण तट पर ममलेश्वर ज्योतिर्लिंग मौजूद है। भले ही यह दोनों ज्योतिर्लिंग अलग हैं और अलग-अलग स्थान पर स्थित हैं मगर श्रद्धालु इन्हें एक ही मानते हैं। मांधाता द्वीप पर स्थित ओंकारेश्वर शिवलिंग स्वयंभू शिवलिंग है, मतलब इसका निर्माण प्राकृतिक रूप से हुआ है। मान्यताओं के अनुसार सावन के महीने में श्रद्धालुओं को भगवान शिव के दर्शन करने के लिए यहां जरूर आना चाहिए।
सावन में बढ़ जाता है श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के दर्शन करने का महत्व
यूं तो पूरे साल श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में भक्तों का जमावड़ा लगा रहता है। मगर, भगवान शिव के प्रिय सावन के महीने में यहां की दृश्य मनोरम हो जाता है। सावन के पवित्र महीने में लोग दूर-दूर से भगवान शिव तथा माता पार्वती के दर्शन करने श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर आते हैं। मान्यताओं के अनुसार, जो भक्त श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के दर्शन करता है तथा भगवान शिव और माता पार्वती की सच्चे मन से पूजा करता है उसके सात जन्म संवर जाते हैं। सावन मास में श्री ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर के दर्शन करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
शिवलिंग के नीचे बहती है नर्मदा नदी
मांधाता द्वीप का यह स्वयंभू शिवलिंग कई रोचक तथ्यों के वजह से पर्यटकों के लिए प्रिय स्थल है। 12 ज्योतिर्लिंगों में से यह चौथा ज्योतिर्लिंग है। ऐसा कहा जाता है कि इस ज्योतिर्लिंग के नीचे नर्मदा नदी बहती है। इसके साथ ही यह भी प्रचलित मान्यता है कि यहां भगवान शिव माता पार्वती और कई देवता चौपड़ खेलते हैं। इस मंदिर में भगवान शिव के साथ माता पार्वती तथा गणेश जी की मूर्ति भी स्थापित है।
बहुत खास है यहां की आरती
सनातन धर्म के अनुसार, ईश्वर की आरती देखना बहुत लाभदायक माना जाता है मगर श्री ओंकारेश्वर मंदिर के नियम कुछ अलग हैं। दरअसल यहां सदियों से एक परंपरा चली आ रही है जिसके अनुसार यहां भक्तों को आरती देखने की अनुमति नहीं है। आरती के समय यहां किसी भी भक्त को प्रवेश करने की अनुमति नहीं मिलती है। कहा जाता है कि सिर्फ राजपुरोहित ही आरती के समय यहां आ सकते हैं। जब भी यहां आरती की जाती है तब कैमरे और माइक को भी बंद कर दिया जाता है। आरती के बाद ही यहां के पट खोले जाते हैं और भक्तों को अंदर आने की अनुमति मिलती है।
कोरोनाकाल में मंदिर के दर्शन के लिए इन चीजों की पड़ेगी जरूरत
कोरोना की वजह से बंद हो गए मंदिर के कपाट अब दर्शनार्थियों के लिए खोल दिए गए हैं। श्रावण मास में जो भक्त यहां दर्शन करने के लिए जाना चाहते हैं उन्हें विशेष बुकिंग और टिकट लेना पड़ेगा। इसके साथ उन्हें वैक्सीनेशन प्रमाण पत्र या आरटीपीसीआर रिपोर्ट भी जमा करना पड़ेगा। जिनके पास वैक्सीनेशन प्रमाण पत्र और आरटीपीसीआर रिपोर्ट होगा उन्हीं को प्राथमिकता दी जाएगी। कोरोना के वजह से दर्शन करने का समय प्रातः 05:00 बजे से शाम के 08:00 बजे तक कर दिया गया है।