- वास्तु में सीढ़ी का दोष होना बहुत गंभीर माना गया है
- सीढ़ी घर-परिवार के प्रगति और विकास पर असर डालती है
- सीढ़ी मे दोष हो तो उसके सामने शीशा या डिवाइडर लगा दें
घर में सीढ़ी सभी के होती है, लेकिन यदि ये वास्तु के अनुसार न बनाई गई हो तो कई समस्याओं की वजह भी बनती है। वास्तु शास्त्र में सीढ़ियों को तरक्की और विकास का सूचक माना गया है। सीढ़ी यदि वास्तु नियमों के अनुसार बनी हो, तो उसमें रहने वाले पूरे परिवार का विकास होता है और यदि वास्तु के विपरीत बनी हो तो इसके उलट घर में हमेशा असफलता और तंगी का माहौल बना रहता है। इसलिए सीढ़ियों को बनाते समय वास्तु के नियम का पालन करें और यदि सीढ़ियां बन गईं हैं तो घबराएं नहीं, कुछ आसान से उपाय करके आप वास्तु के इस दोष से बच सकते हैं।
ऐसे बचें सीढ़ियों के वास्तु दोष से
- वास्तु के अनुसार सीढ़ियों का निर्माण उत्तर से दक्षिण की ओर या पूर्व से पश्चिम की ओर होना चाहिए। यदि पूर्व दिशा की ओर से सीढ़ी हो तो सीढ़ी पूर्व दिशा की दीवार से लगी हुई नहीं होनी चाहिए। पूर्वी दीवार से सीढ़ी की दूरी कम से कम 3 इंच दूर होनी चाहिए। यदि सीढ़ी में वास्तु दोष हो तो इससे मुक्त होने के लिए आप दो उपाय कर सकते हैं। पहला सीढ़ी जहां से शुरू हो रही उसके ठीक सामने एक बड़ा सा शीश लगा दें अथवा सीढ़ी का जहां वास्तु दोष हो वहां पंचमुखी हनुमान जी की तस्वीर लगा दें।
- सीढ़ी के लिए नैऋत्य यानी दक्षिण दिशा सबसे उत्तम मानी गई है। इस दिशा में सीढ़ी घर प्रगति का कारक होती है। उत्तर-पूर्व यानी ईशान कोण में सीढ़ियों का निर्माण वास्तु दोष का कारण बनता है। इससे आर्थिक नुकसान, स्वास्थ्य की हानि, नौकरी एवं व्यवसाय में समस्याओं का सामना करना पड़ता है। यदि सीढ़ी इस दिशा में बन गई है तो आप कोशिश करें की पहली सीढ़ी कि दिशा तोड़ कर दूसरी ओर मोड़ दें। साथ ही शीशा भी लगा सकते हैं। यदि यह सब न हो सके तो आप सीढ़ी वाली जगह पर सूरजमूखी या उगते सूर्य की तस्वीर लगा दें।
- यदि सीढ़ी दक्षिण-पूर्व में हो तो यह सही नहीं होगी। इससे संतान के स्वास्थ्य पर असर पड़ता है। ऐसे में सीढ़ी की दिशा बदलने के लिए आप उस सीढ़ी के अगल-बगल कहीं भी एक स्टेप और सीढ़ी बना दें।
- मुख्य द्वार के सामने सीढ़ियां नहीं होनी चाहिए। यदि सीढ़ी ऐसे बन गई है तो या तो मुख्य द्वार बदले या दोनों के बीच कोई डिवाइडर खड़ा कर दें।
सीढ़ी बनातें समय ध्यान दें ये बात
- सीढ़ी के नीचे जूते-चप्पल या घर का बेकार सामान नहीं रखें।
- सीढ़ियों के आरंभ और अंत में द्वार जरूर बनवाएं।
- सीढ़ी के नीचे कभी मंदिर या शौचालय न बनवाएं।
- मिट्टी के बर्तन में बरसात का जल भरकर उसे मिट्टी के ढक्कन से ढंक दें।
- सीढ़ी हमेशा सम संख्या में होनी चाहिए।
- सीढ़ी सीधी होनी चाहिए, घुमावदार बनाने से बचें।
तो वास्तु के इन दोषों का ध्यान रखकर आप अपने घर में सीढ़ी बनवाएं। यदि दोष हो तो उसे दूर करने का प्रयास करें।