- भगवान गणेश से जुड़ा पर्व विनायक चतुर्थी 26 मई को है
- इस दिन श्रद्धालु भगवान गणेश का पूजा करने के साथ व्रत भी रखते हैं
- शास्त्रों में विनायक भगवान गणेश को कहा गया है।
नई दिल्ली: भगवान गणेश को शास्त्रों में विनायक कहा गया है। विनायक चतुर्थी को भगवान गणेश की पूजा होती है। ऐसी मान्यता है कि विनायक चतुर्थी के व्रत और भगवान श्री गणेश के ध्यान और पूजा से वे खुश होकर वह आपकी मनोकामनाएं पूरी करते हैं। शास्त्रों में ऐसी मान्यता है कि भगवान गणेश हर दुख हर लेते है। वह आपके जीवन की समस्त बाधाओं को हर लेते है। इसलिए उनकी पूजा, व्रत करने से श्रद्धालु,भक्त की समस्त मनोकामना पूर्ण होती है।
विनायक चतुर्थी कब है / when is Vinayaka Chaturthi 2020
भगवान गणेश को समर्पित यह व्रत 26 मई को है। इस व्रत का मुहूर्त सुबह 10: 59 से लेकर दोपहर 2:45 तक है। यूं तो आप गणपति की पूजा किसी भी समय कर सकते हैं लेकिन पूजा के लिए इस मुहूर्त को शुभ माना गया है। विनायक चतुर्थी के दिन उनकी पूजा दोपहर काल में अमूमन की जाती है।
भगवान गणपति को प्रिय भोग
गणपति जी के भोग में मोदक, लड्डू चढ़ाना चाहिए। उनके भोग में दुर्वा और कुश भी आप चढ़ा सकते हैं जिसे बेहद शुभ माना जाता है।उनके भोग में पीली और सफेद चीजों को ही शामिल करना चाहिए। अन्य रंग के भोग भगवान को बहुत पसंद नहीं होते, ऐसी मान्यता है। भगवान गणेश मोदक के प्रिय हैं लिहाजा मोदक जरूर चढ़ना चाहिए।
क्या है पूजा विधि
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
- लाल वस्त्र धारण करना इस दिन काफी शुभ माना जाता है।
- कुमकुम, अक्षत, अबील, हल्दी, मेहंदी, सिंदूर, धूप, दीप से गणपति की पूजा करें।
- गणपति स्त्रोत का पाठ करना इस दिन अत्यंत शुभ माना जाता है।
- भगवान गणपति को मोदक और कुश का भोग जरूर लगाए।
- इस दिन आप भगवान श्री गणेश को लाल पुष्प, सुपारी, पान का पत्ता, दूर्वा और केला जरूर चढ़ाएं।
- गणपति को 21 या 11 लड्डूओं का भोग लगाकर परिजनों में प्रसाद बांटे। इस दौरान मंत्र का भी जाप करें।
- भगवान गणपति को इस दिन शाम में एक घी या तेल का दीपक भी जरूर अर्पित करें।
क्या है व्रत की विधि
इस दिन व्रत रखकर पूरे विधि विधान के साथ भगवान गणेश की पूजा की जाती है। मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान गणेश प्रसन्न हो कर मनवांछित फल देते हैं और भक्त या व्रती के जीवन की हर परेशानियों को हर लेते हैं।
- विनायक चतुर्थी की पूजा सामान्यत: दोपहर में ही की जाती है।
- इस दिन आपका आहार सात्विक होना चाहिए।
- पूजा के बाद ही कुछ ग्रहण करें।
- ऊं गणेशाय नम: इस मंत्र का पूजा के समय 108 बार जरूर जाप करें।
- पूजा के बाद सबसे अंत में कपूर जलाते हुए गणेश आरती जरूर करें।