- गुरुवार के दिन बृहस्पति देव की की जाती है पूजा
- बृहस्पति देव अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरा करते हैं
- 16 गुरुवार व्रत करने से बृहस्पति देव सुख समृद्धि बरसाते हैं
Guruvar vrat katha: धर्म शास्त्रों में बृहस्पति देव के दयालु स्वभाव के बारे में कई उल्लेख मिलते हैं। कहा जाता है कि गुरुवार का दिन बृहस्पति देव को समर्पित है और उस दिन श्रद्धालु बहुत ही श्रद्धा भाव से उनकी पूजा करते हैं। बृहस्पतिवार अविवाहित कन्याओं के लिए बहुत अनुकूल माना जाता है, इस दिन वह बृहस्पति देव की पूजा करके मनचाहा वर पा सकती हैं। यह भी कहा जाता है कि जो इस दिन भगवान विष्णु को प्रसन्न करने में सफल हो जाते हैं उनका वैवाहिक जीवन बहुत सुखमय होता है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार जो इंसान साल में 16 बार बृहस्पतिवार के दिन व्रत करता है उसे मनवांछित फल मिलता है।
अगर आप भी बृहस्पतिवार के दिन व्रत करते हैं तो यह व्रत कथा जरूर सुनिए।
एक समय की बात है, एक गांव में एक ब्राह्मण अपनी धर्मपत्नी के साथ रहता था। उस दंपत्ति की एक भी संतान नहीं थी, ब्राह्मण और उसकी पत्नी इस बात से बहुत दुखी रहते थे। हर रोज उस ब्राह्मण की पत्नी स्नान के बाद भगवान की पूजा श्रद्धा भाव से करती थी। उसे देख कर ब्राह्मण भी अपने मन में भगवान का नाम लेता रहता था। लेकिन इससे उन दोनों को कोई लाभ नहीं हुआ, तभी एक दिन अचानक उन्हें खुशखबरी मिली। ब्राह्मण के घर लक्ष्मी के रूप में एक बेटी ने जन्म लिया था।
जब उसकी बेटी बड़ी हुई तो वह भी भगवान विष्णु की भक्ति में लीन रहने लगी। वह जब भी विद्यालय जाती थी तो मुट्ठी भर जौ अपने साथ ले जाती थी। विद्यालय जाते समय वह जौ के दाने को डालती जाती थी और जब वह जौ बड़े हो कर सोने में तब्दील हो जाते थे तो उन्हें काटकर अपने घर ले आती थी। एक दिन उस ब्राह्मण ने अपनी बेटी को ऐसा करते हुए देख लिया। ब्राह्मण ने अपनी बेटी को कहा कि यह जौ अब सोने के जौ नहीं बल्कि सोने के सूप में बदल जाने चाहिए।
अगले गुरुवार की सुबह वह ब्राह्मण की बेटी जल्दी उठकर बृहस्पति देव की पूजा करने लगी, उसने बृहस्पति देव से प्रार्थना किया कि अब से जो वह जौ उगाएगी वह सोने के सूप में बदल जाएं। बृहस्पति देव ब्राह्मण की बेटी से प्रसन्न हो गए और उन्होंने उसकी मनोकामना पूरी की। जब वह विद्यालय से वापस आई तो उसने देखा कि वह जौ अब सोने के सूप बन गए हैं। उस दिन से वह ब्राह्मण और उसका पूरा परिवार भगवान बृहस्पति देव की पूजा करने लगा।