- गंगा एकमात्र ऐसी नदी है जिसका जल कभी खराब नहीं होता है
- हिंदू धर्म में गंगाजल को बेहद पवित्र माना जाता है
- गंगा भारत की सबसे प्राचीन नदी मानी जाती है
नई दिल्ली: भारत में गंगा नदी सनातन धर्म से जुड़े लोगों के लिए महान आस्था का प्रतीक है। यह माना जाता है कि गंगा भारत में बहने वाली एकमात्र ऐसी नदी है जिसका जल कभी खराब नहीं होता है। हमारे देश में इस नदी को बेहद पवित्र माना जाता है।
हमारे बड़े-बुजुर्ग भी गंगाजल का इस्तेमाल पवित्र कामों में सदियों से करते आ रहे हैं। लेकिन क्या आपने कभी यह जानने की कोशिश कि बाकी नदियों का जल खराब हो जाता है लेकिन गंगाजल क्यों नहीं खराब होता हैं। जानते है इनके कारण और इनसे जुड़ी कुछ रोचक बातें जानने।
गंगाजल में होते हैं खास वायरस
वैज्ञानिकों के अनुसार गंगा जल में निजा वायरस पाया जाता है। इसी वजह से गंगा का पानी सालों तक रखने पर कभी खराब नहीं होता है। गंगाजल के शुद्धता को लेकर कुछ पुरानी कहानी भी कही जाती है। बताया जाता है कि 1890 के दशक में ब्रिटिश वैज्ञानिक 'अर्नेस्ट हैन्किन' गंगा की पवित्रता को लेकर काफी रिसर्च किया था। काफी रिसर्च करने के बाद उन्होंने यह पाया कि गंगा में एक ऐसा वायरस जो जल की शुद्धता को बनाएं रखने में मदद करता हैं।
अकबर भी करते थे गंगा जल का सेवन
इतिहासकार के अनुसार राजा अकबर भी गंगाजल का सेवन करते थे। वह अपने राज्य में आने वाले सभी मेहमानों को गंगाजल ही पिलाया करते थे। इतिहास के अनुसार अंग्रेज जब कोलकाता से वापस इंग्लैंड जाते थे, तो वह अपने साथ जहाज में गंगा का पानी भी ले जाया करते थे।
गंगा का जल क्यों है इतना शुद्ध
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गंगा भारत में बहने वाली सबसे पवित्र नदी है। यह गंगोत्री ग्लेशियर की गहराई से निकलती है। इसलिए इसका जल हमेशा पवित्र रहता है। ज्योतिष शास्त्र के गंगाजल का इस्तेमाल कर व्यक्ति पापों से मुक्त और मोक्ष भी प्राप्त कर सकता हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार गंगा गोमुख खंड से होकर मैदानी इलाकों में जाती है। मैदानी इलाकों में जाते वक्त गंगा कई वनस्पतियों से होकर गुजरती हैं। इस वजह से इसका पानी बेहद पवित्र और शुद्ध होता है।
Disclaimer: यह सामग्री इंटरनेट रिसर्च के आधार पर तैयार की गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी सत्यता की पुष्टि नहीं करता है