- बंदरपूंछ उच्च हिमालय श्रृंखला के पश्चिमी किनारे पर स्थित है।
- बंदरपूंछ ग्लेशियर का संबंध रामायण से भी है।
- यमुना नदी का उद्गम स्थम यमुनोत्री हिमनद भी बंदरपूंछ चोटी का ही हिस्सा है।
BandarPoonch Glacier of Uttarakhand: हिमालय की गोद में बसी देवभूमि यानी उत्तराखंड के पहाड़ और ग्लेशियर गंगा, यमुना सहित कई नदियों के उद्गम स्थल भी हैं। पहाड़ की ये चोटियां देवी-देवताओं के कई रहस्य और कहानियां समेटे हुए हैं। उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में स्थित बंदरपूंछ ग्लेशियर भी ऐसी ही एक चोटी है। इसी जगह से एवरेस्ट की सीढ़ी शुरू होती है।
बंदरपूंछ उच्च हिमालय श्रृंखला के पश्चिमी किनारे पर स्थित है। 12 किमी लंबा ये ग्लेशियर 6316 मीटर ऊंचाई पर स्थित है। इस ग्लेशियर का संबंध रामायण से भी है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार लंकापति रावण ने भगवान हनुमान की पूंछ पर आग लगाई थी, इसके बाद उन्होंने पूरी लंका में आग लगा दी थी। भगवान हनुमान लंका में आग लगाने के बाद अपनी पूंछ की आग बुझाने के लिए इस चोटी पर आए थे। इसी कारण इसका नाम बंदरपूंछ रखा गया। यही नहीं, यमुना नदी का उद्गम स्थम यमुनोत्री हिमनद भी बंदरपूंछ चोटी का ही हिस्सा है।
1950 में पहली बार की गई चढ़ाई
गंगोत्री हिमालय की रेंज में पड़ने वाली बंदरपूंछ ग्लेशियर पर सबसे पहली चढ़ाई मेजन जनरल हैरोल्ड विलयम्स ने साल 1950 में किया था। बंदरपूंछ चोटी पर चढ़ने वाली पहली टीम में महान पर्वतारोही तेनजिंग नोर्गे , सार्जेंट रॉय ग्रीनवुड और शेरपा किन चोक शेरिंग शामिल थे। बंदरपूंछ ग्लेशियर में तीन चोटियां- बंदरपूछ 1, बंदरपूंछ 2 और काली चोटी भी स्थित है।
इस महीने जाएं बंदरपूंछ ग्लेशियर
अगर आप बंदरपूंछ ग्लेशियर जाने का प्लान कर रहे हैं तो मार्च से लेकर अक्टूबर का महीना सबसे अच्छा माना जाता है। खासकर मई और जून में इस जगह पर आप ट्रैकिंग भी कर सकते हैं।
बंदरपूंछ ग्लेशियर की ट्रैकिंग के रास्ते पर आपको बसंत ऋतु के कई फूल दिखेंगे। इसके अलावा आप कई जानवरों की दुर्लभ प्रजातियां भी देख सकते हैं। बंदरपूंछ ग्लेशियर जाने के लिए आपको देहरादून जाना होगा। यहां से आप उत्तरकाशी के लिए गाड़ी ले सकते हैं।