- एकाग्रता बढ़ती है
- तनाव में कमी आती है
- पाचन शक्ति दुरुस्त होती है
Lord Shiva Mantra OM: मन पर नियन्त्रण करके शब्दों का उच्चारण करने की क्रिया को मन्त्र कहते है। मंत्रों का प्रभाव हमारे मन व तन पर पड़ता है। कहा जाता है जैसा रहेगा मन वैसा रहेगा तन। यदि हम मानसिक रूप से स्वस्थ्य है तो हमारा शरीर भी स्वस्थ्य रहेगा। मन को स्वस्थ्य रखने के लिए मन्त्र का जाप जरूरी है। ओम तीन अक्षरों से बना है। अ उ और म से निर्मित यह शब्द सर्व शक्तिमान है। अदम्य साहस देने वाले ओम के उच्चारण मात्र से विभिन्न प्रकार की समस्याओं का नाश होता है। शिव ही सत्य है। शिव ही धरती को ऊर्जा है। जीवन का हर सार शिव में ही समाहित है। शिव की महिमा का वर्णन सभी ग्रन्थों में मिलता है।
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ॐ से ही ब्रह्मा विष्णु महेश प्रकट हुए
सृष्टि के आरंभ में ध्वनि गूंजी ओम और पूरे ब्रह्माण्ड में इसकी गूंज फैल गयी। पुराणों में ऐसी कथा मिलती है कि इसी शब्द से भगवान शिव विष्णु और ब्रह्मा प्रकट हुए। ओम को सभी मंत्रों का बीज मंत्र ध्वनियों एवं शब्दों की जननी कहा जाता है। ओम शब्द के नियमित उच्चारण मात्र से रोग एवं तनाव से मुक्ति मिलती है। धर्माचार्य ओम का जप करने की सलाह देते हैं। जबकि वास्तुविदों का मानना है। ओम के प्रयोग से घर के वास्तु दोषों को भी दूर किया जा सकता है। ओम मंत्र में ब्रह्माण्ड का स्वरूप व त्रिदेवों का वास होता है इसलिए हर मंत्र में इसका उच्चारण होता है। जैसे
ओम नमो भगवते वासुदेव व ओम नमः शिवाय। ओम मंत्र के जप से मनुष्य ईश्वर के करीब पहुंचता है।
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कैसे बना ॐ शब्द
शास्त्रों के अनुसार योग दर्शन में यह स्पष्ट है। ओम शब्द तीन अक्षरों से मिलकर बना है। अ, उ, म. प्रत्येक अक्षर ईश्वर के नामों को समेटे हुए है। जैसे अ से व्यापक सर्वदेशीय उपासना करने योग्य है। उ से बुद्धिमान सूक्ष्म सब अच्छाइयों का नियम करने वाला है। म से अनंत अमर ज्ञानवान वास्तव में ईश्वर के अनगिनत नाम ओम शब्द में ही आ सकते हैं।
1. अनेक बार ॐ का उच्चारण करने से पूरा शरीर तनावरहित हो जाता है।
2. अगर आपको घबराहट या अधीरता होती है तो ओ३म् के उच्चारण से उत्तम कुछ भी नहीं!
3. यह शरीर के विषैले तत्त्वों को दूर करता है, अर्थात तनाव के कारण पैदा होने वाले द्रव्यों पर नियंत्रण करता है।
4. यह हृदय और खून के प्रवाह को संतुलित रखता है।
5. इससे पाचन शक्ति तेज होती है।
6. इससे शरीर में फिर से युवावस्था वाली स्फूर्ति का संचार होता है।
7. थकान से बचाने के लिए इससे उत्तम उपाय कुछ और नहीं।
8. नींद न आने की समस्या इससे कुछ ही समय में दूर हो जाती है. रात को सोते समय नींद आने तक मन में इसको करने से निश्चित नींद आएगी।
9.कुछ विशेष प्राणायाम के साथ इसे करने से फेफड़ों में मजबूती आती है।
इस तरह से अगर आप ॐ का उच्चारण करेंगे तो निश्चित आपको इसके लाभ भी प्राप्त होंगे। इस महामंत्र जा जाप करना हर कस्टों का निवारण करना है। ऐसा शास्त्रों में बताया गया है।
ओम के उच्चारण का रहस्य समझिए
ॐ एक महामंत्र है। ओम अद्भुत है। यह संपूर्ण ब्रह्मांड का प्रतीक है। बहुत-सी आकाश गंगाएँ इसी तरह फैली हुई है। ब्रह्म का अर्थ होता है विस्तार फैलाव। ओंकार ध्वनि के 100 से भी अधिक अर्थ दिए गए हैं। यह अनादि और अनंत तथा निर्वाण की अवस्था का प्रतीक है। ॐ को ओम कहा जाता है। उसमें भी बोलते वक्त ओ पर ज्यादा जोर होता है। इसे प्रणव मंत्र भी कहते हैं। इस मंत्र का प्रारंभ है अंत नहीं। यह ब्रह्मांड की अनाहत ध्वनि है। इसे अनहद भी कहते हैं। तपस्वी और ध्यानियों ने जब ध्यान की गहरी अवस्था में सुना की कोई एक ऐसी ध्वनि है जो लगातार सुनाई देती रहती है शरीर के भीतर भी और बाहर भी। हर कहीं वही ध्वनि निरंतर जारी है। और उसे सुनते रहने से मन और आत्मा शांती महसूस करती है। तो उन्होंने उस ध्वनि को नाम दिया ओम। साधारण मनुष्य उस ध्वनि को सुन नहीं सकता लेकिन जो भी ओम का उच्चारण करता रहता है। परमात्मा से जुड़ने का साधारण तरीका है ॐ का उच्चारण करते रहना।
ॐ का उच्चारण किस तरह करना चाहिए
प्रातः उठकर पवित्र होकर ओंकार ध्वनि का उच्चारण करें। ॐ का उच्चारण पद्मासन, अर्धपद्मासन, सुखासन, वज्रासन में बैठकर कर सकते हैं। ॐ जोर से धीरे बोल सकते हैं। इससे शरीर और मन को एकाग्र करने में मदद मिलेगी। दिल की धड़कन और रक्तसंचार व्यवस्थित होगा। इससे मानसिक बीमारियाँ दूर होती हैं। अप्रिय शब्दों से निकलने वाली ध्वनि से मस्तिष्क में उत्पन्न काम क्रोध मोह भय लोभ खत्म होते है। कम से कम 108 बार ओम का उच्चारण करना चाहिए।