- विजेथुवा महावीरन धाम स्थित है राम नगरी अयोध्या जिले के पास
- बहुत प्राचीन और प्रसिद्ध है सुल्तानपुर का यह हनुमान मंदिर।
- रामायण में की गई है इस जगह की चर्चा और बताया गया है इसका इतिहास।
नई दिल्ली. उत्तर से लेकर दक्षिण तक और पूर्व से लेकर पश्चिम तक भारत की जमीन पर ऐसे कई हनुमान मंदिर हैं जो अपने इतिहास के लिए प्रख्यात हैं। इनमें से कई मंदिरों की चर्चा कई हिंदू धर्म शास्त्रों में की गई है। ऐसा ही एक मंदिर यूपी के सुल्तानपुर जिले में स्थित है।
हनुमान जी का यह मंदिर विजेथुवा महावीरन धाम के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि इस मंदिर में हनुमान जी की एक ऐसी मूर्ति स्थापित की गई है जिसमें उनका एक पैर जमीन के अंदर धसा हुआ है।
इस मंदिर में आने वाले लोग यहां पर निर्मित तालाब में स्नान करने के बाद ही मंदिर के अंदर अपने कदम रखते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार इसी जगह पर भगवान हनुमान ने रावण द्वारा भेजे गए कालनेमि राक्षस को मार गिराया था।
कहां स्थित है यह मंदिर?
उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले के कादीपुर तहसील के पास हनुमान जी का यह मंदिर स्थित है। कहा जाता है कि इस मंदिर में स्थापित की गई हनुमान जी के मूर्ति का एक पैर जमीन के कई फीट अंदर धसा हुआ है जिसकी वजह से यह मूर्ति थोड़ी तेड़ी है।
यहां के पुजारियों की मानें तो, खुदाई करके इस मूर्ति को सीधा करने का प्रयास किया गया था लेकिन पैर का सिरा ना मिल पाने की वजह से इस कार्य को स्थगित करना पड़ा था।
बहुत पवित्र है इस मंदिर का तालाब
इस मंदिर में दर्शन करने से पहले यहां के तालाब में स्नान करना आवश्यक माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस तालाब में हनुमान जी भी स्नान कर चुके हैं। मान्यताओं के मुताबिक, मकरी कुंड तालाब में स्नान करने से यहां आने वाले श्रद्धालु अपने पापों से मुक्त हो जाते हैं।
विजेथुवा महावीरन धाम का इतिहास
जब लक्ष्मण जी मूर्छित हो गए थे तब वैद्यराज सुषेण ने संजीवनी बूटी से इलाज करने का हल निकाला था। संजीवनी बूटी लाने के लिए हनुमान जी जब रास्ते में थे तब रावण ने कालनेमि नाम के राक्षस को हनुमान जी के पास भेजा था ताकि वह राक्षस हनुमान जी का वध कर सके।
रास्ते में कालनेमि साधु के वेश में राम-राम का जप करने लगा जिसे सुनकर हनुमान जी उसके पास चले गए। कालनेमि हनुमान जी को अपने आश्रम में आराम करने के लिए आग्रह करता रहा जिसकी बात सुनकर हनुमान जी आश्रम चले गए।
कालनेमि ने हनुमान जी को पहले स्नान करने के लिए कहा। जब हनुमान जी स्नान करने के लिए इस कुंड में गए थे तो वहां कालनेमि मगरमच्छ का वेश धारण करके हनुमान जी पर हमला करने लगा।