- भीमसेन एकादशी या पांडव एकादशी के नाम से भी जानी जाती है निर्जला एकादशी।
- निर्जला एकादशी पर भगवान विष्णु की पूजा और दान-पुण्य है बेहद लाभदायक।
- निर्जला एकादशी पर कुछ उपाय करते हैं धन तथा स्वास्थ्य में वृद्धि।
Nirjala Ekadashi or Bhimsen Ekadashi 2021 Upay: सनातन धर्म में किसी विशेष तिथि पर उपाय करने का महत्व है। शास्त्रों के जानकार बताते हैं कि सनातन धर्म में मनाए जाने वाले पर्व तथा त्योहारों पर कुछ उपाय करने से शुभ योग बनते हैं जिससे इंसान के कार्य सफल होते हैं तथा उनकी मनवांछित इच्छाएं पूरी होती हैं। मान्यताओं के अनुसार, कुछ उपाय करने से देवी-देवता प्रसन्न होते हैं तथा अपने भक्तों की मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं।
हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार, एकादशी तिथि बेहद शुभ होती है और इन तिथियों पर उपाय करना बेहद लाभदायक होता है। एकादशी व्रत श्रीहरि को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है, इस दिन कुछ विशेष उपाय करने से दान पुण्य की प्राप्ति होती है। समस्त एकादशी व्रतों में सबसे महत्वपूर्ण और विशेष निर्जला एकादशी मानी जाती है जो ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष में पड़ती है।
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, निर्जला एकादशी व्रत की शुरुआत महाभारत काल से हुई थी। कहा जाता है कि महाबली भीमसेन ने वेदव्यास जी के कहने पर एकादशी व्रत किया था। स्वयं वेदव्यास जी ने यह बताया था कि जो भक्त निर्जला एकादशी व्रत करता है उसे समस्त एकादशी व्रतों का फल मिलता है। यह व्रत करने वाले व्यक्ति को भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है तथा उसे पुण्य की प्राप्ति होती है।
इस वर्ष निर्जला एकादशी व्रत 21 जून को पड़ रही है। आपको बता दें यह एकादशी तिथि 20 जून को शाम 04:20 से प्रारंभ होगी और 21 जून को दोपहर 01:31 पर समाप्त होगी। निर्जला एकादशी व्रत का पारण मुहूर्त 22 जून को सुबह 05:13 से 08:01 तक रहेगा।
यहां जानें, निर्जला एकादशी व्रत पर आपको कौन से उपाय (Nirjala Ekadashi 2021 Upay) करने चाहिए।
हथेलियों को देख कर करें इस मंत्र का जाप
निर्जला एकादशी पर सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर अपनी हथेलियों को देखते हुए (Morning Mantra for Nirjala Ekadashi)
कराग्रे वसते लक्ष्मी, करमध्ये सरस्वती।
करमूले तू गोविंद, प्रभातेकरदर्शनम्।।
ऊपर दिए गए मंत्रों का जाप करें फिर अपने दिन की शुरुआत करें।
गंगा जल से ऐसे करें स्नान:
निर्जला एकादशी पर सूर्योदय से पहले स्नान कर लें, स्नान करते समय अपने नहाने के पानी में गंगा जल डाल लें। इससे आप शुद्ध हो जाएंगे। कहा जाता है कि यह उपाय करने से तीर्थ स्नान का फल मिलता है।
तांबे के लोटे से सूर्य देव को दें अर्घ्य:
निर्जला एकादशी पर स्नान करने के बाद सूर्योदय के समय भगवान सूर्य को अर्घ्य अवश्य दें। तांबे के लोटे में अर्घ्य देना शुभ माना गया है। इसके साथ अर्घ्य देते समय ऊँ सूर्याय नम: मंत्र का जप करें।
इन चीजों का करें दान:
मान्यताओं के अनुसार, निर्जला एकादशी पर व्रत करने वाले जातकों को वस्त्र, तिल, धन, फल और मिठाई का दान किसी गरीब को, जरूरतमंद को या मंदिर में करना चाहिए।
ऐसे भी कर सकते हैं व्रत:
निर्जला व्रत का अर्थ बिना जल के व्रत होता है, जिस दिन लोगों को बिना जल ग्रहण किए व्रत करना चाहिए। आप अगर बिना जल ग्रहण व्रत नहीं कर सकते हैं तो इस दिन फलाहार व्रत करें।
इस दिन करें तर्पण:
पितरों के लिए तर्रण करना इस दिन लाभदायक होता है। आप इस दिन अपने घर में पूजा करें या किसी मंदिर में पूजा करके हार-फूल आदि चढ़ाएं और प्रसाद बांटें।
मां पार्वती को चढ़ाएं सुहाग की चीजें:
इस दिन भगवान विष्णु के साथ भगवान शिव की पूजा भी की जाती है। निर्जला एकादशी पर भगवान शिव तथा माता पार्वती की पूजा करके घी को दीया जलाएं और सच्चे मन से प्रार्थना करें। इस दिन माता पार्वती को सुहाग की चीजें अवश्य चढ़ानी चाहिए।
इन शास्त्रों का करें पाठ:
निर्जला एकादशी व्रत पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करें और रामायण, सत्यनारायण की कथा, विष्णु पुराण आदि का पाठ करें।
शिव मंदिर में यह चीजें करें अर्पित:
इस दिन भगवान शिव की पूजा करना बहुत शुभ माना जाता है। निर्जला एकादशी पर भगवान शिव के मंदिर में सीताफल, नारियल, सुपारी, बिल्वफल, मौसमी फल आदि चीजों को अर्पित करें।