- वास्तुशास्त्र के अनुसार घर के मुख्य द्वार पर भूलकर भी ना लगाएं लोहे का गेट।
- दो पलड़े का दरवाजा होता है शुभता का प्रतीक, आय के साधन में होती है वृद्धि।
- ज्यादा कम ऊंचाई के दरवाजे संकीर्ण मानसिकता को दर्शाते हैं।
वास्तुशास्त्र के अनुसार घर के अंदर प्रत्येक वस्तु का एक निश्चित स्थान और दिशा होता है। क्योंकि हर वस्तु में सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा विद्यमान होती है। इसी के अनुसार घर के दरवाजों, खिड़कियों और कुंडियों का भी घर की सुख शांति बरकरार रखने में अहम स्थान होता है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के दरवाजे औऱ खिड़कियां एक अच्छी लकड़ी से बने हुए होने चाहिए। जिनमें हवा, धूप और पानी के जुल्म को सहकर भी सही से खड़े होने की क्षमता हो। क्योंकि दरवाजों और खिड़कियों की चर्राहट, टूटा होना या आकार बिगड़ना घर की सुख शांति को भंग करता है और धन की हानि को दर्शाता है।
ऐसे में यदि आपके घर में भी दरवाजों की हालत इस प्रकार है या आप नया दरवाजा लगा रहे हैं तो इन बातों पर अवश्य ध्यान दें।
ऐसे दरवाजे दरिद्रता के होते हैं प्रतीक:
घर के मुख्य द्वार पर भूलकर भी लोहे का गेट ना लगाएं, मुख्य द्वार पर लकड़ी का गेट होना चाहिए। वास्तुशास्त्र के अनुसार गेट खोलते या बंद करते समय आवाज नहीं आना चाहिए। यदि दरवाजे खोलते या बंद करते समय आवाज करते हों तो उन्हें तुरंत बदल दें, क्योंकि ऐसे दरवाजे घर की सुख-शांति को भंग करते हैं।
ऐसी स्थिति में घर के सदस्यों में एक दूसरे के प्रति ईर्ष्या भाव की भावना उत्पन्न होती है। जिससे लड़ाई झगड़े बढ़ते हैं, छोटी छोटी बातें विवाद का बड़ा कारक बन जाती हैं। यह आपके घर में लक्ष्मी को प्रवेश को रोकता है, घर में दरिद्रता का वास होता है। ऐसे में घर के द्वार को हमेशा दुरुस्त रखें तथा खोलते बंद करते समय ध्यान रखें।
एक पलड़े वाला दरवाजा ना लगाएं:
घर में एक पलड़े वाला दरवाजा नहीं होना चाहिए। एक पलड़े वाला दरवाजा शुभता का प्रतीक नहीं माना जाता है, एक पलड़े वाले दरवाजे की तुलना में दो पलड़े वाला दरवाजा अधिक शुभ होता है, यह सकारात्मक ऊर्जा का संचरण करता है।
दरवाजे की मरम्मत:
घर के द्वार पर लगे दरवाजों और खिड़कियों की लगातार मरम्मत कराते रहें। तथा ऑइलिंग और कीटनाशक से बचाने के लिए तरह तरह के उपाय करते रहें।
दरवाजे की लंबाई:
घर के दरवाजे बहुत लंबे और संकरे नहीं होने चाहिए। अधिक लंबे और संकरे दरवाजे वास्तुदोष का प्रतीक होते हैं, इसी प्रकार अधिक कम ऊंचाई के दरवाजे संकीर्ण मानसिकता का दर्शाते हैं। इसलिए घर के दरवाजे की लंबाई औसतन होनी चाहिए।
दरवाजे का फर्श से टकराना:
अक्सर घरों में कमरे का दरवाजा एक तरफ झुक जाता है, जिससे ना केवल दरवाजे का आकार टेढ़ा हो जाता है बल्कि दरवाजा फर्श से भी टकराता है। वास्तुशास्त्र के अनुसार ऐसे दरवाजे समाज में आपकी इज्जत मर्यादा को कम करते हैं, आर्थिक स्थिति इससे कमजोर होने लगती है। इसलिए ऐसे दरवाजों की तुरंत मरम्मत करवाएं या इन्हें बदल दें।