- पानी की सर्वाधिक शुभ जगह ईशान कोण माना जाता है
- नल से पानी रिसने से भुखमरी की स्थिति पैदा होती है
- वास्तु शास्त्र के अनुसार चीज़े रखने से घर में शांति बनी रहती है
वास्तु शास्त्र के मुताबिक पानी, आग, हवा, आसमान, और पृथ्वी के लिए अलग-अलग जगह या दिशाएं बताई गई हैं। इसलिए हमें अपने घर में बताई गई चीजों की दिशाएं देखकर ही रखनी चाहिए। यदि हम ऐसा नहीं करते हैं तो हमें वास्तु दोष के कारण कई परेशानिया का भी सामना करना पड़ जाता है। वास्तु शास्त्र का अनुसार पानी की सर्वाधिक शुभ जगह ईशान कोण माना गया है। इसलिए पानी को उसकी सही दिशा में ही रखना चाहिए। ऐसा करने से घर के सदस्यों का स्वास्थ्य अनुकूल रहता है और घर में भी सुख-शांति बनी रहती है।
वास्तु के अनुसार रसोई के लिए टिप्स :
- पानी के बर्तन को हमेशा उत्तर-पूर्व या पूर्व में भरकर रखना चाहिए।
- पानी की सर्वाधिक शुभ जगह ईशान कोण है इसलिए पानी का भूमिगत टैंक या बोरिंग पूर्व, उत्तर या पूर्वोत्तर दिशा में होना चाहिए।
- पानी को ऊपर की टंकी में भेजने वाला पंप भी पूर्व, उत्तर या पूर्वोत्तर दिशा में होना चाहिए।
- वास्तु का संतुलन बनाने के लिए कुआं अथवा ट्यूबवेल उत्तर-पूर्व कोण के स्थान में होना चाहिए।
- ओवर हेड टैंक उत्तर और वायव्य कोण के बीच होना चाहिए। टैंक का ऊपरी भाग गोल होना चाहिए।
- दूसरी दिशा में ट्यूबवेल हो तो उसका प्रयोग न करें या उसे भरवा दें।
- बाथरुम की दिशा पूर्व होनी चाहिए।
एक बात हमेशा ध्यान रखें घर के किसी भी नल से पानी नहीं रिसना चाहिए अन्यथा भुखमरी की स्थिति पैदा हो सकती है।