- पूजा की शुरुआत हमेशा गणेश जी की पूजा से करनी चाहिये
- इस व्रत को बिना कुछ खाए और पिये रखा जाता है
- अहोई अष्टमी के दिन पूजा करते समय अपने बच्चों को अपने पास बैठाएं
आज से कार्तिक महीने का प्रारंभ हो गया है। इस माह हिंदुओं के अनेक व्रत एवं त्यौहार हैं जिसमें करवाचौथ और दीवाली के अलावा अहोई अष्टमी का त्योहार भी बेहद खास महत्व रखता है। अहोई अष्टमी कार्तिक महीने की कृष्ण अष्टमी के दिन पड़ती है जिसमें माताएं अपनी संतानों के लिए व्रत रखती हैं।
इस दिन माताएं पूरा दिन उपवास रख कर फिर विधि-विधान के साथ अहोई माता की पूजा अर्चना करती हैं। इस व्रत को करने के अपने अलग ही नियम हैं। इस व्रत में निरजला रहना जरूरी होता है। साथ ही अहोई माता की पूजा करने से पहले गणेश जी की पूजा करनी चाहिये। क्योंकि हिन्दू मान्यताओं में गौरी पुत्र गणेश को प्रथम पूजनीय बताया गया है। यदि आप इस बार 21 अक्टूबर को अहोई व्रत रखेंगी तो उससे पहले जान लें पूजा के कुछ खास नियम। साथ ही व्रत का असर उल्टा न पड़े इसके लिये इन 7 गलतियों को करने से भी बचें....
अहोई माता की पूजा में ना करें ये गलतियां
- पूजा की शुरुआत हमेशा गणेश जी की पूजा से करनी चाहिये। ऐसा इसलिये क्योंकि उन्हें प्रथम पूजनीय माना गया है।
- इस व्रत को बिना कुछ खाए और पिये रखा जाता है। ऐसा करने से आपकी संतान हमेशा सुखी रहेगी।
- अहोई अष्टमी के दिन अपने सास - ससुर के लिए बायना जरूर निकालें। यदि सास-ससुर न हों तो इसे किसी बुजुर्ग को भी दे सकते हैं।
- व्रत कथा सुनते वक्त हाथों में 7 प्रकार के अलाज पकड़ें। पूजा खत्म होने के बाद इन्हें किसी गाय को खिलाएं।
- अहोई अष्टमी के दिन पूजा करते समय अपने बच्चों को अपने पास बैठाएं और अहोई माता को भोग लगाने के बाद वह प्रसाद अपने बच्चों को खिलाएं।
- इस दिन पेड़ पौधों को नहीं उखाड़ना चाहिये।
अहोई अष्टमी के दिन राधा कृष्ण कुंड में स्नान करने से भर जाती है सूनी गोद
माना जाता है कि कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी यानि अहोई अष्टमी की मध्य रात्रि राधा कृष्ण कुंड में स्नान करने से सूनी गोद भर जाती है। मान्यता है कि अहोई अष्टमी के दिन ही इन कुंडों का निर्माण किया गया था इसलिए अहोई अष्टमी पर राधा कृष्ण कुंड में स्नान करने का विशेष महत्व है। इस दिन यहां स्नान करने के लिए भारी संख्या में लोग आते हैं।