- हिंदू कैलेंडर में कार्तिक मास का विशेष महत्व है।
- कार्तिक मास 14 अक्टूबर से 12 नवंबर तक रहेगा
- इस महीने में भगवान शिव और विष्णु तथा कार्तिकेय और तुलसी की पूजा होती है
हिंदू कैलेंडर में कार्तिक मास का विशेष महत्व है। कार्तिक मास 14 अक्टूबर से 12 नवंबर तक रहेगा। इसमें सूर्य की किरणों एवं चन्द्र किरणों का पृथ्वी पर पड़ने वाला प्रभाव मनुष्य के मन मस्तिष्क को स्वस्थ रखता है। इसीलिए शास्त्रों में कार्तिक स्नान पर विशेष जोर दिया गया है। साथ ही कार्तिक मास के दौरान विशेष तौर पर तुलसी पूजा को महत्वपूर्ण बताया गया है।
इस महीने में भगवान शिव और विष्णु तथा कार्तिकेय और तुलसी की पूजा अर्चना से विशेष मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं। इस माह में विष्णु पूजा, दीप दान, व्रत और दान का पुण्य अनंत है। आरोग्यता प्राप्त करने के लिए प्रातः उठकर गंगा स्नान कर तुलसी और पीपल की पूजा कर दीपदान किया जाता है। एक विशेष बात यह भी है कि भक्त पूरे दिन निराहार या फलाहार रहते हैं तथा रात्रि में तारों के उदय होने पर उनको अर्ध्य देते हैं फिर भोजन ग्रहण करते हैं।
1. कार्तिक माह में सभी 30 दिनों में सूर्योदय से पूर्व और संध्याकाल में स्नान करना बेहद पवित्र माना जाता है। पुराणों में इस स्नान को कुंभ स्नान के समान माना जाता है।
2. माह में हर दिन स्नान के साथ गायत्री मंत्र का जाप करना चाहिए। यह जाप करना सौभाग्य वृद्धि करता है।
3. अगर दान या अन्य धार्मिक कार्यों करें तो पुष्कर, बनारस और कुरुक्षेत्र में इसके लिए सबसे अधिक फलदायी जगह मानी जाती हैं।
4. इस माह में दीपदान का बेहद महत्व है। साथ ही हर शाम तुलसी के नीचे घी का दीया अवश्य जलाएं और सुबह-शाम जल अर्पण करते हुए तुलसी की परिक्रमा भी अवश्य करें।
5. भगवान विष्णु को प्रसन्न करने वालों पर मां लक्ष्मी की भी कृपा होती है। ऐसे में इस माह में स्वच्छता व सफाई पर खूब जोर दिया जाता है। इस पर ध्यान न देने से घर और इसके आसपास कूड़ा ना फैलाएं, इससे मां लक्ष्मी ही नहीं बल्कि भगवान शिव और विष्णु के कोप का भाजन भी बनना पड़ता है जो दुर्भाग्य लाता है।
दीप दान करने के पीछे का कारण यह है कि कार्तिक मास की प्रथम पंद्रह दिन की रातें सबसे काली रातें होती हैं। भगवान विष्णु के जागने के ठीक पूर्व दीप जलाने से अश्वमेध यज्ञ के बराबर पुण्य की प्राप्ति होती है।