- मां बगलामुखी की आराधना रात्रि में करना होता है बेहद लाभकारी।
- पीला रंग अत्यंत प्रिय होने के कारण मां बगलामुखी को कहते हैं पीताम्बरा देवी।
- शास्त्र अनुसार बगलामुखी मां की पूजा आराधना करने से शीघ्र दूर होती हैं सभी विघ्न-बाधाएं।
Baglamukhi Mata Jayanti: हिंदू धर्म के अनुसार वैशाख शुक्ल की अष्टमी को बगलामुखी जयंती मनाई जाती है। इस साल यह 20 मई 2021 गुरुवार को मनाई जा रही है। आपको बता दें, कि माता बगलामुखी को पीताम्बरा, बगला, ब्रह्मास्त्र, विद्या इत्यादि नामों से भी जाना जाता हैं। ज्योतिष के अनुसार माता की पूजा करने से शत्रु किसी के प्रति षड्यंत्र नहीं कर पाते है।
मान्यताओं के अनुसार माता बगलामुखी की पूजा आराधना करने से जीवन की सभी विघ्न-बाधाएं शीघ्र ही समाप्त हो जाती है। बगलामुखी मां दसमहाविद्या में आठवीं महाविद्या है। इन्हें स्तंभ की देवी कहा जाता है। धर्म के अनुसार ब्रह्मांड की सभी शक्तियां माता में ही समावेश करती है।
शास्त्रों के अनुसार जब पृथ्वी पर एक बड़ा तूफान आया था तब देवता सौराष्ट्र क्षेत्र में खट्ठा होकर माता की आराधना लगे उसी वक्त बगलामुखी माता देवताओं की प्रार्थना से प्रसन्न होकर हरिद्रा सरोवर से निकली और उस तूफान को शीघ्र ही शांत कर दी। देवी बगलामुखी का रंग सुनहरा है। माता पीले कमल से भरे हुए अमृतसर के सागर के बीच स्वर्ण सिंहासन पर विराजमान है।
मां बगलामुखी को पीला रंग बेहद प्रिय है। पीले रंग पसंद होने के कारण मां बगलामुखी को पीतांबरा के नाम से भी पुकारा जाता है। मां की पूजा में पीले रंग की सामग्री चढ़ाने से शुभ लाभ की प्राप्ति होती है। मां बगलामुखी की आराधना 10 बजे रात्रि के बाद करना बेहद शुभ माना जाता है।
धर्म के अनुसार मां बगलामुखी की पूजा आराधना करने से सभी कार्यों में सफलता मिलती है। यदि आप अपनी जिंदगी की सभी मनोकामना को शीघ्र ही पूर्ण करना चाहते है, तो मां बगलामुखी की पूजा आराधना जरूर करें। यहां जाने मां बगलामुखी की पूजा आराधना करने की सही विधि।
मां बगलामुखी की पूजा करने की विधि (Maa Baglamukhi Puja Vidhi in Hindi):
- बगलामुखी मां की पूजा करने के लिए सुबह-सुबह स्नान करके घर में शुद्ध स्थान पर उत्तर दिशा में एक साथ चौकी पर पीले रंग का वस्त्र डालकर श्री गणेश एवं माता बगलामुखी की प्रतिमा स्थापित करें।
- अब पूरे कमरे में और चौकी पर गंगा जल से शुद्धिकरण करें।
- चौकी पर चांदी, तांबे या मिट्टी के कलश, घरे में जल भरकर उस पर नारियल रखकर कलश स्थापित करें।
- स्थापित करते समय देवी-देवता, नवग्रहों, तीर्थों, योगिनियों और नगर देवता की पूजा आराधना करें।
- इसके बाद पूजा का संकल्प लें और वैदिक मंत्रों द्वारा चौकी पर स्थापित समस्त देवी देवताओं षोडशोपचार से पूजा करें।
- अब आवाह्न, आसन, पाद्य, अध्र्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन, रोली, हल्दी, सिंदूर, दुर्वा, बिल्वपत्र, आभूषण, पुष्प-हार, सुगंधितद्रव्य, धूप-दीप, नैवेद्य, फल, पान, दक्षिणा, आरती, प्रदक्षिणा, मंत्रपुष्पांजलि आदि करें।
- पूजा करते समय माता का स्मरण ॐ ह्लीं बगलामुखी देव्यै ह्लीं ॐ नमः करते हुए करें।
- जब पूजा समाप्त हो जाए, तो प्रसाद वितरण करें और शाम के वक्त माता की आरती जरूर करें।