- बिहार के मुख्य पर्वों में से एक है चैती छठ पूजा।
- चैत्र मास में मनाया जाने वाला पर्व 16 से 19 अप्रैल तक मनाया जाएगा।
- चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व में होती है सूर्य देव की पूजा।
वर्षों से बिहार में चैती छठ पूजा किया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, यह छठ चैत्र मास की नवरात्रि में पड़ता है और 4 दिन तक मनाया जाता है। चैती छठ के अलावा कार्तिक माह में भी छठ का पर्व आता है। चैती छठ पूजा में कई पौराणिक परंपराओं को निभाया जाता है जिसमें नहाय-खाय, खरना, षष्ठी और सप्तमी मौजूद हैं। इन अलग-अलग तिथियों पर अलग-अलग विधि विधान से पूजा किया जाता है।
इस वर्ष चैती छठ पूजा 16 अप्रैल से प्रारंभ हो गई थी जो 19 अप्रैल को समाप्त होगी। इस क्षेत्र में महिलाएं करीब 36 घंटे तक व्रत रखती हैं। कहा जाता है कि जो चैती छठ व्रत रखता है उसे सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है तथा यह व्रत महिलाएं अपनी संतान की सलामती और उनकी लंबी आयु के लिए रखती हैं।
यहां जानिए, नहाय-खाय और खरना के बाद षष्ठी तिथि की पूजा विधि।
षष्ठी और सप्तमी तिथि (Chaiti Chhath Tithi 2021)
षष्ठी तिथि: - 18 अप्रैल 2021, रविवार
सप्तमी तिथि: - 19 अप्रैल 2021, सोमवार
चैती छठ षष्ठी तिथि पूजा विधि (Chaiti Chhath Puja Vidhi)
खरना के दिन महिलाएं मिट्टी के चूल्हे में गुड़ की खीर बनाती हैं और सूर्य देव को भोग लगाती हैं। इसके अगले दिन षष्ठी तिथि पड़ती है जिस दिन सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है। अगर आप भी यह व्रत रख रही हैं तो षष्ठी तिथि पर सुबह जल्दी उठकर अपने घर को साफ कर लें फिर सुबह भगवान की पूजा करने के बाद व्रत रखी रहें।
अब शाम के समय नदी या तलाब में जाकर सूर्य देव की पूजा करें और उन्हें अर्घ्य दें। इस वर्ष षष्ठी तिथि 18 अप्रैल 2021 को पड़ रही है जिस दिन रविवार है। इस दिन व्रत रखें फिर अगले दिन सप्तमी तिथि पर सुबह सूर्य देव को अर्घ्य देकर व्रत का पारण कर लें।