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Chhath Puja Kab Hai (छठ कब है 2020) : सूर्य उपासना का पर्व है छठ पूजा, बिहार व अन्‍य जगह कब मनाई जाएगी छठ

Updated Nov 11, 2020 | 14:24 IST

Chhath Puja 2020 Bihar Date (छठ डेट) : छठ पूजा सूर्य की उपासना का पर्व है जो पूरी श्रद्धा के साथ चार द‍िन तक लगातार मनाया जाता है। जानें इस साल आस्‍था का ये पर्व क‍िस तारीख को आ रहा है।

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chhath puja 2020 date
मुख्य बातें
  • द‍िवाली से छठे द‍िन मनाया जाता छठ पूजा का पर्व
  • ये सूर्य उपासना का त्‍योहार है जो वैद‍िक काल से चला आ रहा है
  • पौराण‍िक कथाओं के अनुसार द्रौपदी ने भी छठ पूजा की थी

छठ पूजा दीपावली के 6 दिन बाद मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं भगवान सूर्य को अर्घ्‍य देती हैं और छठी मइया की पूजा करती हैं। उत्तर प्रदेश, झारखंड, बिहार जैसे राज्यों में यह त्योहार बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस त्योहार का महत्‍व आप इसी बात से लगा सकते हैं कि लोग इस त्योहार को मनाने के लिए विदेशों से भी अपने घर पहुंच जाते हैं। इस लिए छठ के दिनों में ट्रेनों और हवाई जहाजों तक में टिकट मिलना मुश्किल हो जाता है।

छठ पूजा तारीख (Chhath Puja 2020 Date) 

छठ पूजा 2020 का पर्व 20 नवंबर से शुरू होगा। बता दें क‍ि छठ पूजा 4 दिनों तक चलने वाला एक लोक पर्व है। यह कार्तिक शुक्ल चतुर्थी से शुरू होता है और कार्तिक शुक्ल सप्तमी को समाप्त होता है।

छठ पूजा मुहूर्त (Chhath Puja Arghay time)

20 नवंबर को शाम के अर्घ्य का समय: 5 बज के 25 मिनट और 26 सेकेंड का निर्धारित किया गया है।

21 नंबर को सुबह के अर्घ्य का समय 6 बज कर 48 मिनट 52 सेकेंड निर्धारित किया गया है।

छठ पूजा का महत्व (Chhath Puja Ka Mahatva)

छठ पूजा सूर्य देव को समर्पित है जो इस संसार के सभी जीवों को अपने प्रकाश से जीवन देने का काम करते हैं। शास्त्रों के अनुसार, छठी मइया या छठ माता संतानों की रक्षा करती हैं और उन्हें दीर्घायु प्रदान करती हैं। 

हिन्दू धर्म में षष्ठी देवी को ब्रह्मा जी की मानस पुत्री के रूप में भी जाना जाता है। पुराणों में, उन्हें माँ कात्यायनी भी कहा जाता है, जिनकी षष्टी तिथि को नवरात्रि पर पूजा की जाती है। षष्ठी देवी को बिहार-झारखंड की स्थानीय भाषा में छठ मैया कहा जाता है।

छठ पूजा की पूरी विधि (Chhath Puja Vidhi)

  1. इस त्योहार में पूरे चार दिन साफ-सुथरे कपड़े पहने जाते हैं। इस बात का विशेष ध्यान रखा जाता है कि कपड़ों का रंग काला ना हो साथ ही कपड़ो में कोई सिलाई ना होने का भी पूरा-पूरा ध्यान रखा जाता है। महिलाएं जहां साड़ी धारण करती हैं वहीं पुरुष धोती धारण करते हैं। 
  2. इस महा पर्व के पूरे चार दिन व्रत करने वाले को जमीन पर स्वक्ष बिस्तर पर सोना होता है। इस दौरान आप कंबल या चटाई पर सोना चाहते हैं ये आप पर निर्भर करता है। नहाए-खाए वाले दिन आम की सूखी लकड़ी में ही व्रती के लिए विधि विधान से खाना बनाया जाता है। कार्तिक के पूरे महीने घर के सदस्यों के लिए मांसाहार या तामसिक भोजन सेवन करना वर्जित माना जाता है। 
  3. शुद्ध घी का दीपक जलाएं और सूर्य को धूप और फूल अर्पण करें। छठ पूजा में सात प्रकार के सामानों की आवश्यकता होती है। फूल, चावल, चंदन, तिल आदि से युक्त जल को सूर्य को अर्पण करना चाहिए।
  4. सूर्य को अर्घ्य देते समय पानी की जो धारा जमीन पर गिर रही है, उस धारा से सूर्यदेव के दर्शन करना चाहिए। माना जाता है क‍ि इससे आंखों की रोशनी तेज होती है।
  5. अर्घ्य देते समय गन्ने का होना अनिवार्य माना जाता है। पूजा की समाप्ति के बाद अपनी इच्छाशक्ति से ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है।

छठ से जुड़ी पौराणिक कथा (Chhath Puja Vrat Katha)

छठ पर्व का उल्लेख पुराणों में मिलता है। वैवर्त पुराण की एक कथा के अनुसार, महाराज मनु के पुत्र राजा प्रियव्रत की कोई संतान नहीं हो रही थी। इस बात से प्रियव्रत बहुत दुखी रहते थे। एक दिन उन्हें महर्षि कश्यप ने यज्ञ करने को कहा, महर्षि के आदेश अनुसार उन्होंने पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ किया। जिसके बाद रानी मालिनी ने एक बेटे को जन्म दिया लेकिन दुर्भाग्यवश बच्चा मृत पैदा हुआ। राजा प्रियव्रत और उनके परिवार के सभी सदस्य इस बात से बेहद दुखी हो गए। तभी आसमान में एक पत्थर दिखाई दिया, जहां माता षष्ठी बैठी हुई थीं।

जब राजा प्रियव्रत ने उनसे प्रार्थना कर उनका परिचय पूछा, तब उन्होंने बताया कि मैं ब्रह्मा की मानस पुत्री षष्ठी देवी हूं मैं इस संसार के सभी बच्चों की रक्षा करती हूं और नि:संतान माता-पिता को पुत्र/पुत्री प्राप्त करने का आशीर्वाद देती हूं। जिसके बाद देवी ने राजा के मृत बच्चे को अपने आशीर्वाद से जीवित कर दिया। माना जाता है कि उसी के बाद से यह त्योहार पूरी दुनिया में मनाया जाने लगा।
 

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