- 10 महाविद्याओं में से एक हैं मां धूमावती, इनका रूप विधवा का है और ये क्रोध का प्रतीक हैं
- इनकी कथा पार्वती से जुड़ी है जब वह गुस्से में महादेव को खा गई थीं
- कष्ट दूर करने के लिए शनिवार को काले कपड़े में काले तिल मां को भेंट करें
भगवान शिव ने दस महाविद्याएं प्रकट की हैं। इनमें सातवें स्थान पर आती हैं मां धूमावती। इनका प्राकट्य ज्येष्ठ शुक्लपक्ष की अष्टमी को हुआ था। इनको पुरुषशून्या विधवा, अलक्ष्मी जैसे नामों से भी जाना जाता है। डरावनी शक्ल, रुक्षता, अपंग शरीर जिनके दंड का फल है इन सब की मूल प्रकृति में पराम्बा धूमावती ही हैं। विधवा, भिक्षाटन, दरिद्रता, भूकंप, सूखा, बाढ़, प्यास रुदन, वैधव्य, पुत्रसंताप, कलह इनकी साक्षात प्रतिमाएं हैं। धूमावती का निवास ज्येष्ठा 'नक्षत्र' में माना गया है। जिस व्यक्ति का जन्म इस नक्षत्र में होता है, वह पूरा जीवन स्वास्थ्य अथवा किसी न किसी प्रकार के संघर्षों से लड़ता रहता है।
क्यों है धूमावती का विधवा स्वरूप / Dhumavati Maa Katha
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान शिव जी की पत्नी पार्वती को बहुत तेज भूख लगी। लेकिन उस समय हिमालय पर कुछ भी उपलब्ध नहीं था। वहीं शिवजी तपस्या में बैठे थे। ऐसे में पार्वती बेचैन होने लगीं और उन्होंने महादेव को कई बार कहा कि उनके लिए खाने का प्रबंध करें। जब भोलेनाथ की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई और भूख से पार्वती छटपटाने लगीं तो उनको क्रोध आ गया। गुस्से में पार्वती ने शिव जी को ही निगल लिया। भगवान शिव के गले में विष होने की वजह से उनके शरीर से धुआं निकलने लगा और वह भयंकर दिखने लगीं।
एक अन्य कथा के अनुसार धूमावती का जन्म सती के अग्नि में कूदने पर हुआ था। सती के भस्म होने के दौरान जो धुआं उठा, उससे धूमावती का जन्म हुआ।
सुहागिनें न करें धूमावती का पूजन
इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि कर के पूजा स्थल को गंगाजल से पवित्र करके मां का पूजन करें। इस दौरान सफेद रंग के फूल, आक के फूल, सफेद वस्त्र, केसर, अक्षत, घी, सफेद तिल, धतूरा, आक, जौ, सुपारी दूर्वा, गंगाजल, शहद, कपूर, चन्दन, नारियल पंचमेवा आदि ही प्रयोग में लायें।
धूम्रा मतिव सतिव पूर्णात सा सायुग्मे,
सौभाग्यदात्री सदैव करुणामयि:..
इस मंत्र के साथ पूजन करें। लेकिन ध्यान रहे कि इस पूजा को पुरुष ही करें। सुहागिन महिलाओं को मां के इस रूप की पूजा नहीं करनी चाहिए। वे बस पूरी श्रद्धा के साथ दूर से ही हाथ जोड़ कर नमन करें।
कष्ट दूर करने के लिए मां धूमावती के उपाय/ Dhumavati Jayanti Upay Totke
- जीवन में कष्ट दूर करने के लिए मां धूमावती को शनिवार के दिन काले कपड़े में काले तिल बांधकर चढ़ाएं।
- जटामांसी और कालीमिर्च से होम करने पर जन्मकुंडली के सभी अकारक, गोचर एवं मारक दशाओं के ग्रहदोष नष्ट हो जाते हैं।
- काली मिर्च से होम करने से कोर्ट कचहरी के मामलों में विजय एवं कारागार से मुक्ति मिलती है।
- मां का सर्वोत्तम भोग मीठी रोटी और घी है। इससे होम करने से घोर संकट भी टल जाता है।
- ॐ धूं धूं धूमावती स्वाहा - मंत्र के साथ राई में नमक मिलाकर होम करने से शत्रुओं का नाश होता है।