- महाशिवरात्रि व्रत के नियमों के साथ पारण करने का भी होता है नियम।
- फाल्गुन मास में मनाया जाता है महाशिवरात्रि का पर्व, होती है शिव पूजा।
- 11 मार्च को मनाई जा रही है शिवरात्रि, बेलपत्र और जलाभिषेक से भगवान शिव होते हैं खुश।
हिंदू पंचांग के गणना के अनुसार, महाशिवरात्रि फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर मनाई जाती है। यह पर्व भगवान शिव को समर्पित है और इस दिन मां पार्वती और भगवान शिव की विधि अनुसार पूजा-अर्चना की जाती है। माना जाता है कि महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की पूजा अर्चना करने से भक्तों के संकट दूर हो जाते हैं साथ में हर एक प्रकार के पाप से मुक्ति मिलती है। महाशिवरात्रि पर भक्त महादेव की भक्ति में लीन रहते हैं और बेलपत्र और जलाभिषेक करके उन्हें प्रसन्न करने की कोशिश करते हैं। महाशिवरात्रि पुण्यदायिनी मानी गई है, इस दिन भगवान शिव को प्रसन्न करना बहुत फलदायक माना जाता है। पंडितों के मुताबिक, पारण हमेशा विधि अनुसार करना चाहिए।
यहां जानें महाशिवरात्रि पर्व की शुभ तिथि, पारण का नियम और पारण विधि।
शुभ तिथि और मुहूर्त (MahaShivratri 2021 Shubh Muhurat)
महाशिवरात्रि तिथि: - 11 मार्च 2021
चतुर्दशी तिथि शुरुआत: - 11 मार्च (दोपहर 02:39 से लेकर)
चतुर्दशी तिथि समाप्त: - 12 मार्च (दोपहर 03:03 तक)
महाशिवरात्रि पारण मुहूर्त: - 12 मार्च (सुबह 06:36 से लेकर दोपहर 03:04 तक)
पारण का नियम:
ज्ञाता बताते हैं कि धर्मसिंधु के अनुसार, अगर तीनों प्रहारों के बाद चतुर्दशी तिथि समाप्त हो रही है तो पारण चतुर्दशी तिथि के अंत में करना चाहिए। दूसरी ओर, अगर चतुर्दशी तिथि सारे प्रहारों के आगे जा रही है तो अगली सुबह सूर्योदय के समय भक्तों को पारण करना चाहिए। ज्ञाता यह भी बताते हैं कि, निर्णयसिंधु में यह उल्लेख मिलता है कि चतुर्दशी तिथि अगर सारे प्रहारों के बाद खत्म हो रही है तो भक्त तिथि के अंतराल ही पारण कर सकते हैं।
पारण विधि:
महाशिवरात्रि व्रत की तरह महाशिवरात्रि व्रत का पारण नियम अनुसार करना चाहिए। पारण करने के लिए स्नान आदि करके महाशिवरात्रि व्रत कथा सुनिए फिर कथा सुनने के पूर्व भगवान शिव को भोग लगाएं और प्रसाद ग्रहण करके पारण करें।