- मासिक शिवरात्रि हर माह की चतुर्थी को मनाई जाती है
- मासिक शिवरात्रि पूजा करने से कष्टों से मुक्ति मिलती है
- संतान और वर प्राप्ति के लिए मासिक शिवरात्रि का व्रत करें
शिवरात्रि पूजन और व्रत विशेष फलदायी माना गया है। इस दिन भगवान शिव की पूजा प्रदोष काल यानी जब दिन और रात मिल रहे हों तब करना सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होता है। शिवरात्रि पूजा करने से मनुष्य की मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं और उसके जीवन के कष्ट भी दूर होते हैं। मासिक शिवरात्रि, शिव और शक्ति की अराधना का पर्व होता है। फाल्गुन महा के कृष्ण पक्ष की शिवरात्रि पर भगवान शिव मध्य रात में लिंग के रूप में अवतरित हुए थे और इस दिन से महाशिवरात्रि मनाई जाने लगी। इसके साथ ही हर माह की चतुर्थी तिथि को मासिक शिवरात्रि भी मनाई जाने लगी।
मासिक शिवरात्रि व्रत का महत्व
- शिवरात्रि का व्रत कुंवारी कन्याओं के करने से उसे सुंदर घर, सुख और मनचाहा वर प्राप्ति होती है।
- इस व्रत को देवी लक्ष्मी, इंद्राणी, सरस्वती, गायत्री, सावित्री, सीता, पार्वती ने भी किया था और भगवान की कृपा से उन्हें उनके मनचाहे वर मिले थे।
- जिन लोगों के विवाह में दिक्कत आ रही हो, उन्हें यह व्रत करना चाहिए। इससे विवाह की सारी अड़चने भी दूर हो जाती है।
- इस व्रत को करने से हर तरह के कर्ज से इंसान मुक्त हो जाता है।
- ये व्रत मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए भी होता है।
- संतान सुख की कमना रखने वालों को मासिक शिवरात्रि का व्रत करना चाहिए।
शिवरात्रि व्रत और पूजन विधि जानें
- स्नान-ध्यान से मुक्त होकर भगवान शिव के समक्ष अपने व्रत का संकल्प लें और उनसे अपने मन की बात कहें।
- शिवरात्रि की पूजा प्रदोष काल में ही करना विशेष फलदायी होता है।
- व्रत के दौरान केवल फलहार करना चाहिए। दो वक्त फलहारी भोजन ही करें।
- इस दिन रुद्राभिषेक जरूर करना चाहिए। रुद्राभिषेक में परिवार के हर सदस्य को शामिल करें।
- रुद्राभिषेक के जल में शुद्ध घी, दूध, शक्कर, शहद, दही डालें। इसके बाद शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा और श्रीफल चढ़ाएं। इसके बाद भगवान शिव की धूप, दीप, फल और फूल आदि से पूजा करें।
- शिवरात्रि के दिन शिव पुराण, शिव पंचाक्षर, शिव स्तुति, शिव अष्टक, शिव चालीसा, शिव रुद्राष्टक, शिव के श्लोक, सहस्त्र नामों का पाठ जरूर करें।
- भगवान शिव और उनके परिवार (पार्वती, गणेश, कार्तिक, नंदी) की पूजा भी जरूर करें।
- इस दिन यदि आप पाठ न कर सकें तो शिव जी का ध्यान करते हुए ॐ या ॐ नमः शिवाय के उच्चारण करें। इससे मानसिक शांति मिलती हैं और मन एकाग्रचित्त होता हैं।
- शिवरात्रि की रात जागरण करना चाहिए। जागरण के समय सामुहिक रूप से भजन-कीतर्न करना चाहिए।
अगले दिन भगवान शिव की पूजा करें और दान आदि करने के बाद अपना व्रत खोलें। पारण सत्विक भोजन के साथ करें।