- भगवान विष्णु के छठे स्वरूप माने जाते हैं भगवान परशुराम, सात चिरंजीवी में से हैं एक।
- वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर मनाई जाती है परशुराम जयंती।
- भगवान विष्णु के दसवे अवतार कल्कि के गुरु माने जाते हैं भगवान परशुराम।
परशुराम जयंती भगवान विष्णु के छठे स्वरूप के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है। हर वर्ष परशुराम जयंती वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर पड़ती है। ऐसा माना जाता है कि भगवान परशुराम का जन्म प्रदोष काल में हुआ था इसीलिए प्रदोष काल में जब तृतीया तिथि प्रारंभ होती है तब इसे परशुराम जयंती के रूप में मनाया जाता है।
मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु के छठे स्वरूप ने धरती पर राजाओं द्वारा किए जा रहे अधर्म, पाप और जुल्म का विनाश करने के लिए जन्म लिया था। इतना ही नहीं, हिंदू मान्यताओं के अनुसार, यह कहा जाता है कि सात चिरंजीवी पुरुषों में से परशुराम एक हैं और वह अभी भी इस धरती पर जीवित हैं।
इसीलिए भगवान राम और कृष्ण की तरह परशुराम जी की पूजा नहीं की जाती है लेकिन उडुपी समेत साउथ इंडिया में ऐसे कई मंदिर हैं जो भगवान परशुराम को समर्पित हैं।
जानें इस वर्ष परशुराम जयंती कब है।
परशुराम जयंती तिथि और मुहूर्त (Parshuram Jayanti 2021 Date Tithi and Muhurat)
परशुराम जयंती तिथि: - 14 मई 2021, शुक्रवार
तृतीया तिथि प्रारंभ: - 14 मई 2021 (सुबह 05:38)
तृतीया तिथि समाप्त: - 15 मई 2021 (सुबह 07:59)
भगवान परशुराम से जुड़ी रोचक बातें:
पौराणिक कथाओं के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि भगवान परशुराम भगवान विष्णु के दसवे स्वरूप श्री कल्कि के गुरु थे। ऐसा पहली बार नहीं हुआ था जब भगवान विष्णु के दो स्वरूप आमने-सामने आए थे। जब माता सीता का स्वयंवर रचा जा रहा था तब भगवान विष्णु के सातवें स्वरूप भगवान राम के सामने भी परशुराम आए थे और दोनों की मुलाकात हुई थी।