- धार्मिक ग्रंथों के अनुसार रमा एकादशी कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को पड़ती है
- आमतौर पर यह दीवाली से चार दिन पहले पड़ती है
- रमा एकादशी को रम्भा एकादशी या कार्तिक कृष्ण एकादशी के नाम से भी जाना जाता है
Rama Ekadashi: हिंदू धर्म में रमा एकादशी का बहुत महत्व है। इस दिन उपवास रखकर पूरे विधि विधान से भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। माना जाता है कि रमा एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति को सभी पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यही कारण है कि स्त्री और पुरुष दोनों साथ मिलकर रमा एकादशी का व्रत रखते हैं।
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार रमा एकादशी कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को पड़ती है। आमतौर पर यह दीवाली से चार दिन पहले पड़ती है। रमा एकादशी को रम्भा एकादशी या कार्तिक कृष्ण एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। देश के कुछ हिस्सों में रमा एकादशी अश्विन मास में मनायी जाती है। इस वर्ष रमा एकादशी 24 अक्टूबर को मनायी जाएगी।
रमा एकादशी व्रत का महत्व
सनातन धर्म में रमा एकादशी का बहुत महत्व है। यह व्रत रखकर रमा अर्थात् माता लक्ष्मी के पति भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। कहा जाता है कि भगवान विष्णु का जो कोई भक्त रमा एकादशी का व्रत रखकर पूरी श्रद्धा से उनकी पूजा करता है, उसके जीवन की सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं। इसके अलावा यह व्रत रखने वाले व्यक्ति को धर्म, अर्थ, मोक्ष और पुरुषार्थ की प्राप्ति होती है। अपने बुरे कर्मों से मुक्ति पाने के लिए ज्यादातर लोग रमा एकादशी का व्रत रखते हैं।
रमा एकादशी व्रत विधि
इस व्रत की शुरूआत दशमी तिथि से ही की जाती है। इसलिए इस तिथि को सात्विक भोजन ही करना चाहिए। एकादशी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर नित्यक्रिया के बाद स्नान करना चाहिए औ साफ सुथरा वस्त्र धारण करना चाहिए। इस दिन उपवास रखकर पूरे दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए और किसी व्यक्ति के प्रति गलत भावना नहीं रखनी चाहिए। द्वादशी के दिन नहा धोकर पारण समय में ही व्रत खोलना चाहिए।
इस तरह पूरी श्रद्धा और सच्चे मन से रमा एकादशी का व्रत रखने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों के कष्टों को दूर कर सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।