- छोटी दिवाली के दिन आमतौर पर यमराज के नाम पर तेल का दीया जलाया जाता है
- दीया जलाकर मृत्यु के देवता यमराज की पूजा करने से असमय मृत्यु का भय नहीं सताता है
- अमावस्या तिथि के स्वामी यमराज होते हैं
प्रत्येक वर्ष दीपावली से एक दिन पहले छोटी दिवाली मनायी जाती है। इसे नरक चतुर्दशी भी कहा जाता है। इस दिन घर से बाहर दीया जलाकर यमराज की पूरा की जाती है। इस दीया को यम का दीया कहते हैं। माना जाता है कि छोटी दिवाली के दिन यमराज के नाम से घर के बाहर मुख्य द्वार पर दक्षिण दिशा में दीया जलाने से व्यक्ति की अकाल मृत्यु नहीं होती है।
छोटी दिवाली के दिन आमतौर पर यमराज के नाम पर तेल का दीया जलाया जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार दीया जलाकर मृत्यु के देवता यमराज की पूजा करने से असमय मृत्यु का भय नहीं सताता है और व्यक्ति निश्चिंत होकर जीवन जीता है। आइये जानते हैं छोटी दिवाली के दिन घर के मुख्य द्वार पर दीपक क्यों जलाया जाता है।
छोटी दिवाली को इसलिए जलाते हैं दीपक
छोटी दिवाली के एक दिन पहले अमावस्या की रात पड़ती है। कहा जाता है कि अमावस्या तिथि के स्वामी यमराज होते हैं। अमावस्या की घनी काली रात में चांद नहीं दिखायी देता है। इस रात में यम के दूत भटक ना जाएं इसलिए इन्हें रास्ता दिखाने के लिए छोटी दिवाली के दिन घर के मुख्य द्वार पर दीपक जलाया जाता है। जो व्यक्ति अपने घर के द्वार पर दीपक जलाता है उसे सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है और वह नरक में नहीं जाता है।
छोटी दिवाली के दिन दीपक जलाने की विधि
- नरक चतुर्दशी के दिन घर के सबसे बड़े व्यक्ति को हाथ में तेल से भरा दीया लेना चाहिए।
- दीये को पूरे घर में घुमाना चाहिए।
- इसके बाद दीये को घर के बाहर मुख्य द्वार पर दक्षिण दिशा में मुख करके रख देना चाहिए।
- इस दौरान घर के बाकी सदस्यों को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए और इस दीपक को नहीं देखना चाहिए।
छोटी दिवाली को दीया जलाने से जुड़ी कथा
एक समय रंति देव नाम के एक राजा थे। उन्होंने हमेशा अपने जीवन में लोगों की भलाई की और कभी कोई पाप नहीं किया। जब राजा की मृत्यु हुई तब यमराज के दूत उन्हें नरक लोक लेकर गए। तब धर्मात्मा ने यमराज से पूछा कि आखिर मैंने अपने जीवन में कौन सा पाप किया है कि मुझे नरक में जगह मिली है। तब यमराज ने कहा कि आपने एक बार एक भूखे ब्राह्मण को अपने द्वार से भूखे पेट ही लौटा दिया था, यह उसी कर्म का फल है।
यह सुनकर राजा ने यमराज से एक वर्ष का समय मांगा और पाप का प्रायश्चित करने के लिए ऋषियों के पास सलाह लेने गए। सभी ऋषियों ने राजा को बताया कि कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी का व्रत रखकर ब्राह्मणों को भोजन कराने और सूर्यास्त के बाद घर के बाहर दीया रखने से सभी पापों में मुक्ति मिल जाएगी। राजा ने ऐसा ही किया। इस बात यमराज के दूत राजा को नरक की बजाय स्वर्ग लोक लेकर गए। तब से नरक चतुर्दशी यानि छोटी दिवाली के दिन घर से बाहर दीपक रखा जाता है ताकि सभी भूल चूक माफ हो जाए।
इस तरह छोटी दिवाली के दिन पूरी श्रद्धा से यम के नाम का दीया घर से बाहर रखना चाहिए और हाथ जोड़कर प्रार्थना करते हुए यमराज से अपनी सभी गलतियों और पापों के लिए क्षमा याचना करनी चाहिए।