- कामवासना की आदत युवाओं को पूरी तरह कर सकती है बर्बाद
- क्रोध और लालच युवाओं को पूरी तरह तबाह कर देती है
- युवाओं का स्वाद और श्रृंगार से दूर रहना ही अच्छा
Chanakya Niti In Hindi: आचार्य चाणक्य के अनुसार युवा समाज और राज्य के निर्माता होते हैं। वो ही किसी देश को एक नए शिखर पर ले जाते हैं। इसलिए युवाओं के अंदर अच्छाइयां जरूरी हैं। अगर युवाओं को बुरी आदतें पड़ गई तो परिवार, समाज के साथ देश भी पिछड़ जाएगा। इसलिए आचार्य चाणक्य ने युवाओं को कई चीजों से दूर रहने के प्रति आगाह किया है। आचार्य के अनुसार, कई ऐसी आदतें हैं जो युवाओं को बर्बाद कर सकती हैं, इनसे दूर रहना ही बेहतर होता है।
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कामवासना
आचार्य चाणक्य के अनुसार कामवासना एक ऐसी चीज है, जो पूरी युवा पीढ़ी को बर्बाद कर सकती है। इसलिए युवाओं को कामवासना से दूर रहना चाहिए। कामवासना में उलझ कर कोई भी युवा ना तो अध्ययन कर पाता है और ना ही अपनी सेहत पर ध्यान दे पाता है। इसके कारण वो धीरे धीरे बर्बादी की कगार पर जाने लगता है।
क्रोध
चाणक्य नीति के अनुसार क्रोध इंसानी जीवन का सबसे बड़ा दुश्मन है। क्रोध में आते ही व्यक्ति की सोचने-समझने की शक्ति नष्ट हो जाती है। इसलिए क्रोध से युवाओं को हमेशा बचना चाहिए।
लालच
आचार्य के अनुसार लालच किसी युवा का पूरा जीवन बर्बाद कर सकता है। लालच युवाओं के अध्ययन के मार्ग में सबसे बड़ा बाधक माना जाता है। इसलिए युवाओं को किसी लालच में पड़ने से बचना चाहिए।
स्वाद
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि हर व्यक्ति को स्वादिष्ट भोजन की लालसा होती है। लेकिन युवा अवस्था में पहुंचने वाले लोगों को इससे दूर रहना चाहिए। इसकी जगह उन्हें स्वास्थ्यवर्धक संतुलित आहार लेने की कोशिश करनी चाहिए। क्योंकि इससे स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। जिससे अध्ययन के मार्ग में कोई बाधा नहीं आएगी।
श्रृंगार
आचार्य के अनुसार श्रृंगार या फैशन सबसे अधिक युवा अवस्था में ही आकर्षित करता है, जो युवा इसमें फंस जाते हैं, वे भटक जाते हैं। युवाओं को हमेशा सादा जीवनशैली अपनानी चाहिए। फैशन करने से युवाओं का मन अध्ययन से भटक सकता है। इसलिए इससे दूरी बनाना ही बेहतर है।
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नींद
आचार्य के अनुसार नींद अगर जरूरत भर के लिए ली जाए तो यह अच्छी होती है, लेकिन जरूरत से ज्यादा नींद स्वास्थ्य और आपके जीवन के लिए हानिकारक साबित होती है। युवा वर्ग अगर नींद से ही प्रेम करने लगे तो उनमें आलस्य की मात्रा बढ़ जाती है जिससे किसी भी चीज का अध्ययन करने का समय भी उनके पास कम बचता है।
(डिस्क्लेमर : यह पाठ्य सामग्री आम धारणाओं और इंटरनेट पर मौजूद सामग्री के आधार पर लिखी गई है। टाइम्स नाउ नवभारत इसकी पुष्टि नहीं करता है।)