- 5000 साल पहले मां शारदा पीठ के इस मंदिर की हुई थी स्थापना, मंदिर को लेकर है खास मान्यता
- बद्रीनाथ से 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस स्थान पर हुआ था मां सरस्वती का प्रकटय
- महाभारत के युद्ध विराम के बाद ऋषि वेद व्यास ने की थी इस स्थान पर बैठकर देवी सरस्वती की अराधना
सनातन हिंदु धर्म में बसंत पंचमी का विशेष महत्व है। इस दिन विधि विधान से मां सरस्वती की पूजा अर्चना करने और देवी के मंत्रों का जाप करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। आपको बता दें इस साल यह पावन पर्व 16 फरवरी को मनाया जाएगा। इस दिन से शरद ऋतु का समापन और बसंत ऋतु का आगमन होता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन से ब्रम्हा जी ने देवी सरस्वती का सृजन किया था। इसलिए इस दिन विधि विधान से ज्ञान और विद्या की देवी मां सरस्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। ऐसे में आज हम बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर आपके लिए मां सरस्वती के कुछ चमत्कारिक मंदिरो की सूची लेकर आए हैं। जिनको लेकर पौराणिक ग्रन्थों में खास मान्यताएं हैं। आइए जानते हैं।
श्रीज्ञान मंदिर तेलंगाना
मां सरस्वती के इस मंदिर को लेकर हिंदु धर्म में खास महत्व है। यह मंदिर तेलंगाना राज्य के जिले निर्मल बासर गांव में स्थित मां सरस्वती का सबसे प्राचीन मंदिर माना जाता है। इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण ऋषि वेद व्यास जी द्वारा करवाया गया था। पौराणकि कथाओं के अनुसार महाभारत के युद्ध विराम के बाद इसी जगह पर वेद व्यास ने बैठकर मां सरस्वती की तपस्या की थी। इस मंदिर में मां सरस्वती की मूर्ती लगभग 4 फीट ऊंची है। यहां पर बसंत पंचमी के अवसर पर मां सरस्वती के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भारी संख्या में भीड़ उमड़ती है।
शारदापीठ मंदिर, एलओसी
शारदापीठ मंदिर मां सरस्वती के सबसे प्राचीन मंदिरो में से एक है। यह एलओसी से लगभग 10 से 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। मां शारदा का यह मंदिर श्रीनगर से 130 किलोमीटर की दूरी पर स्थित किशनगंगा नदी के किनारे बना है। पौराणिक कथाओं के अनुसार इस स्थान पर माता सती का दाहिना हाथ गिरा था। इसलिए इस जगह को शक्तिपीठ भी कहा जाता है। एक अध्ययन के मुताबिक यह मंदिर अशोक के शासनकाल के दौरान 237 ईस्वीं में यानि 5000 साल पहले स्थापित किया गया था।
ऋगेरी शारदा पीठ, कर्नाटक
मां सरस्वती का यह मंदिर कर्नाटक राज्य के चिकमंगलपुर जिले के तुंगा नदी पर स्थित है। इस मंदिर का निर्माण आज से लगभग 1100 साल पहले 8वीं शताब्दी में शंकराचार्य द्वारा करवाया गया था। इस मंदिर में देवी सरस्वती की मूर्ती चंदन की लकड़ी से बनी थी। लेकिन 14वीं शताब्दी में इस मूर्ती को स्वर्ण की मूर्ती में बदल दिया गया। मां शारदा के इस मंदिर में स्फटिक का लिंग भी स्थापित है, इसको लेकर मान्यता है कि इसे भगवान शिव ने स्वयं शंकराचार्य को भेंट किया था। इस मंदिर की खूबसूरती देखने लायक है। यहां पर बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं का सैलाब लगता है।
पनाचिक्क्ड़ सरस्वती मंदिर
मां सरस्वती का यह मंदिर केरल में स्थित है, ये केरल का एकमात्र मंदिर है जो ज्ञान और विद्या की देवी मां सरस्वती को समर्पित है। इस मंदिर को दक्षिण मूकाम्बिका के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर केरल के चिंगावनम के पास स्थित है। देवी सरस्वती के इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि इसे राजा किझेप्पुरम नंबूदिरी ने स्थापित किया था। यहां पर मां सरस्वती की विशाल प्रतिमा के साथ भगवान विष्णु, विघ्नहर्ता भगवान गणेश और हनुमान जी की भी मूर्ती स्थापित की गई है।
विघा सरस्वती मंदिर, वारंगल, आंध्र प्रदेश
आंध्र प्रदेश के मेढ़क जिले के वारंगल में स्थित मां सरस्वती के इस मंदिर को लेकर अनेको मान्यताएं हैं। मां सरस्वती के इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि देवी के इस मंदिर का निर्माण यायावाराम चंद्रशेखर द्वारा करवाया गया था। यहां पर देवी सरस्वती के मंदिर के साथ विघ्नहर्ता भगवान गणेश, भगवान शिव और शनीश्वर नाथ का मंदिर भी है। बसंत पंचमी के पावन पर्व पर देवी सरस्वती की अराधना करने के लिए यह स्थान सर्वश्रेष्ठ है।
मैहर का शारदा मंदिर
मैहर देवी का यह मंदिर मध्य प्रदेश के सतना जिले के पर्वत की चोटी के बीच में स्थित है। इस मंदिर में भक्त मां शारदा के दर्शन के लिए लगभग 1063 सीढ़ियां लांघ कर जाते हैं। हिंदु धर्म में इस मंदिर को लेकर खास मान्यताएं हैं। यह मंदिर चित्रकूट पर्वत पर स्थित है। यहां मां सरस्वती के मंदिर के साथ, ब्रम्हा जी, भगवान शिव, हनुमान जी और देवी दुर्गा का मंदिर भी स्थित है। बसंत पंचमी के अवसर पर देवी सरस्वती के इस मंदिर का दर्शन करना बेहद सुखदायी है।
राजस्थान पुष्कर
राजस्थान का पुष्कर भगवान ब्रम्हा के मंदिर के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है। यह ब्रम्हा जी का विश्व में इकलौता मंदिर है। ब्रम्हा मंदिर के निकट एक पहाड़ी पर देवी सरस्वती का सबसे प्राचीन मंदिर है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यहां पर मां सरस्वती नदी के रूप में विराजमान हैं।
सरस्वती उद्गम मंदिर
सरस्वती उद्गम मंदिर का पौराणिक कथाओं में विशेष महत्व है। इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि इस स्थान पर मां सरस्वती का प्राकट्य हुआ था। आपको बता दें यह मंदिर बद्रीनाथ से लगभग तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस स्थान पर बसंत पंचमी के अवसर पर भारी संख्या में भक्त मां सरस्वती के दर्शन के लिए आते हैं।