- श्रीमद्भगवद्गीता में 18 अध्याय हैं और इसमें करीब 700 श्लोक हैं
- हरियाणा के कुरुक्षेत्र में जब यह ज्ञान दिया गया तब तिथि एकादशी थी
- महाभारत के भीष्म पर्व में श्रीमद्भागवद्गगीता आती है
हिंदू धर्म मे चार वेद हैं और इन चारों वेद का सार गीता में है। यही कारण है कि गीता को हिन्दुओं का सर्वमान्य एकमात्र धर्मग्रंथ माना गया है। माना जाता है कि गीता को स्पर्श करने के बाद इंसान झूठ नहीं बोलता है। भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कुरुक्षेत्र में खड़े होकर गीता का ज्ञान दिया था और श्रीकृष्ण और अजुर्न संवाद के नाम से ही इसे जाना जाता है। भले ही गीता का ज्ञान भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को दिया था, लेकिन अर्जुन के माध्यम से ही उन्होंने संपूर्ण जगत को यह ज्ञान दिया था।
श्रीकृष्ण के गुरु घोर अंगिरस थे दिया था और उन्होंने ही भगवान श्रीकृष्ण को सर्वप्रथम गीता का उपदेश दिया था और इसी उपदेश को भगवान ने अर्जुन को दिया था। गीता द्वापर युग में महाभारत के युद्ध के समय रणभूमि में किंकर्तव्यविमूढ़ अर्जुन को समझाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण के द्वारा कही गई थी, लेकिन इस वचनामृत की प्रासंगिकता आज तक बनी हुई है। हममे से बहुत लोग गीता के बारे में केवल इतना ही जानते हैं कि ये एक धर्म ग्रंथ है, लेकिन गीता से जुड़ी कई बातें या रहस्य नहीं जाते हैं। तो चलिए आप आपको गीता से जुड़ी एक छोटी-बड़ी बात बताएं।
जानें, गीता से जुड़ी कई रोचक और अनोखी बातें
गीता में कितने अध्याय और कितने श्लोक हैं?
श्रीमद्भगवद्गीता में 18 अध्याय हैं और इसमें करीब 700 श्लोक हैं। भागवत गीता महाभारत के 18 अध्यायों में से 1 भीष्म पर्व का हिस्सा भी है। गीता में वेदों का निचोड़ है।
श्रीकृष्ण के मुख से अर्जुन के अलावा गीता किसने सुनी?
गीता को अर्जुन के अलावा भगवान श्रीकृष्ण के मुख से संजय ने सुना था और उन्होंने धृतराष्ट्र को सुनाया था। गीता में श्रीकृष्ण ने 574, अर्जुन ने 85, संजय ने 40 और धृतराष्ट्र ने 1 श्लोक कहा है।
भगवान ने गीता का ज्ञान अर्जुन को किस दिन और कितने मिनट दिया था?
हरियाणा के कुरुक्षेत्र में जब यह ज्ञान दिया गया तब तिथि एकादशी थी। कलियुग के प्रारंभ होने के मात्र तीस वर्ष पहले इस ज्ञान को दिया गया था और संभवत: उस दिन रविवार था। कहते हैं कि उन्होंने यह ज्ञान लगभग 45 मिनट तक दिया था। इसलिए ही इस दिन गीता जयंती मनाई जाती है। प्रथम दिन का उपदेश प्रात: 8 से 9 बजे के बीच हुआ था।
गीता में क्या खास है?
गीता में भक्ति, ज्ञान और कर्म से जुड़ी कई ऐसे बातें बताई गईं है जो मनुष्य के लिए हर युग में महत्वपूर्ण हैं। गीता के प्रत्येक शब्द पर एक अलग ग्रंथ लिखा जा सकता है। गीता में सृष्टि उत्पत्ति, जीव विकास क्रम, हिन्दू संदेशवाहक क्रम, मानव उत्पत्ति, योग, धर्म-कर्म, ईश्वर, भगवान, देवी-देवता, उपासना, प्रार्थना, यम-नियम, राजनीति, युद्ध, मोक्ष, अंतरिक्ष, आकाश, धरती, संस्कार, वंश, कुल, नीति, अर्थ, पूर्वजन्म, प्रारब्ध, जीवन प्रबंधन, राष्ट्र निर्माण, आत्मा, कर्मसिद्धांत, त्रिगुण की संकल्पना, सभी प्राणियों में मैत्रीभाव आदि सभी की जानकारी है। गीता का मुख्य ज्ञान श्रेष्ठ मानव बनना, ईश्वर को समझना और मोक्ष की प्राप्ति है।
गीता कब लिखा गया?
श्रीमद्भागवद्गगीता आज से लगभग पांच हजार सत्तर साल (5070) पहले लिखी गई थी।
महाभारतके किस अध्याय में गीता है?
महाभारत के भीष्म पर्व में श्रीमद्भागवद्गगीता आती है। जब भगवान श्रीकृष्ण गीता का उपदेश श्रीकृष्ण को दे रहे थे तब समय रुक गया था।
गीता का संकलन किसने किया था?
गीता का संकलन किमहर्षि कृष्ण दैपायन व्यास ने गीता का संकलन किया था।
गीता की उत्पत्ति क्यों हुई?
गीता की उत्पत्ति कौरव और पांडवों के युद्ध के समय कुुरुक्षेत्र में मानी जाती है। अर्जुन विशेष कर पितामह भीष्म से युद्ध करते समय मोह से घिर गए थे और यही कारण है की भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें गीता का ज्ञान दिया था। भगवान ने अर्जुन को ज्ञान देकर धर्म का पालन करने के लिए कहा था। जिसके बाद अर्जुन युद्ध के लिए तैयार हो गया था और उसने धर्म की रक्षा के लिए युद्ध किया था।
गीता का नाम गीता क्यों पड़ा?
गीता का अर्थ है गीत। गीता शब्द का अर्थ है गीत और भगवद शब्द का अर्थ है भगवान, अक्सर भगवद गीता को भगवान का गीत कहा जाता है। यह भगवान का गीत है इसलिए गीता का नाम गीता ही पड़ा।
भगवत गीता में क्या लिखा है?
गीता में लिखा है, क्रोध से भ्रम पैदा होता है, भ्रम से बुद्धि व्यग्र होती है। जब बुद्धि व्यग्र होती है तब तर्क नष्ट हो जाता है और जब तर्क मरता है तो मनुष्य का विवेक नष्ट हो जाता है और उसका पतन शुरू हो जाता है। इस आधार पर कई ज्ञान और बुद्धि को खोलने वाली बातें लिखी हैं।
गीता में कितने योग है?
गीता में योग शब्द को अनेक अर्थ में प्रयोग किया गया है, परन्तु मुख्य रूप से गीता में ज्ञानयोग, कर्मयोग और भक्तियोग इन तीन योग मार्गों का विस्तृत रूप में वर्णन किया गया है।
गीता का पाठ कैसे करना चाहिए?
गीता का दसवां अध्याय कर्म की प्रधानता को इस भांति बताता है कि हर जातक को इसका अध्ययन करना चाहिए। कुंडली में लग्नेश 8 से 12 भाव तक सभी ग्रह होने पर ग्यारहवें अध्याय का पाठ करना चाहिए। बारहवां अध्याय भाव 5 व 9 तथा चंद्रमा प्रभावित होने पर उपयोगी है।
भागवत कथा कितने दिन का होता है?
सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ कलश यात्रा के साथ शुरू होता है।
गीता में प्रत्येक अध्याय के नाम क्या है और इसमें कितने श्लोक हैं?
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गीता का पहला अध्याय अर्जुन-विषाद योग है। इसमें 46 श्लोक हैं।
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गीता के दूसरे अध्याय "सांख्य-योग" में कुल 72 श्लोक हैं।
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गीता का तीसरा अध्याय कर्मयोग है, इसमें 43 श्लोक हैं।
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ज्ञान कर्म संन्यास योग गीता का चौथा अध्याय है, जिसमें 42 श्लोक हैं।
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कर्म संन्यास योग गीता का पांचवां अध्याय है, जिसमें 29 श्लोक हैं।
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आत्मसंयम योग गीता का छठा अध्याय है, जिसमें 47 श्लोक हैं।
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ज्ञानविज्ञान योग गीता का सातवां अध्याय है, जिसमें 30 श्लोक हैं।
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गीता का आठवां अध्याय अक्षरब्रह्मयोग है, जिसमें 28 श्लोक हैं
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राजविद्याराजगुह्य योग गीता का नवां अध्याय है, जिसमें 34 श्लोक हैं।
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विभूति योग गीता का दसवां अध्याय है जिसमें 42 श्लोक हैं।
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विश्वरूपदर्शन योग गीता का ग्यारहवां अध्याय है जिसमें 55 श्लोक है।
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भक्ति योग गीता का बारहवां अध्याय है जिसमें 20 श्लोक हैं।
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क्षेत्रक्षत्रज्ञविभाग योग गीता तेरहवां अध्याय है इसमें 35 श्लोक हैं।
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गीता का चौदहवां अध्याय गुणत्रयविभाग योग है इसमें 27 श्लोक हैं।
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गीता का पंद्रहवां अध्याय पुरुषोत्तम योग है, इसमें 20 श्लोक हैं।
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दैवासुरसंपद्विभाग योग गीता का सोलहवां अध्याय है, इसमें 24 श्लोक हैं।
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श्रद्धात्रयविभाग योग गीता का सत्रहवां अध्याय है, इसमें 28 श्लोक हैं।
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मोक्ष-संन्यास योग गीता का अठारहवाँ अध्याय है, इसमें 78 श्लोक हैं।
तो गीता के से जुड़ी ये सामान्य जानकारियां हैं। उम्मीद है कि आपको गीता से जुड़े कई सवालों का जवाब मिल गया होगा।