- सही समय पर सही तरीके से किया गया काम ही फलीभूत होता है
- बेहद खूबसूरत व्यक्ति का कोई मान नहीं यदि वह ज्ञान न हो
- संयम से बड़ा को तप नहीं और संतोष से बड़ा कोई सुख नहीं होता
चाणक्य ने अपने जीवन के कई साल संघर्ष में बिताए और इस दौरान अपने अनुभवों और जीवन से मिली सीख से उन्होंने चाणक्य नीति का निर्माण किया। उनके जीवन में कई पल ऐसे आए जब उन्होंने अपने अनुभव से न केवल खुद को बल्कि चंद्रगुप्त की भी बचाया था। अपने अनुभवों और त्वरित सोच के बल पर ही उन्होंने नंदवंश को उखाड़ फेंका और चंद्रगुप्त मौर्य के अंदर राजा बनने की खूबियां देखी थीं। उन्होंने अपने ज्ञान के आधार पर ही जाना कि मित्र में क्या खूबियां होनी चाहिए, कब मित्र शत्रु बन सकता है, किन परिस्थितियों में क्या करना चाहिए और कब आक्रमण करना चाहिए और कब धैर्यता के साथ सब सहना चाहिए। चाणक्य की कुछ महत्वपूर्ण बातों को यदि मनुष्य समझ लें तो उसके जीवन में सुख ही सुख होगा।
चाणक्य की इन नीतियों से लें सीख और अपने जीवन को बनाएं सुखमय
- चाणक्य की नीतियां कहती हैं कि एक संयमित मन से बड़ा कोई तप नहीं होता। वहीं जिसके पास संतोष हो, उससे बड़ा सुखी व्यक्ति कोई नहीं हो सकता। जबकि चाणक्य ने लोभ को रोग और दया को सबसे बड़ा गुण माना है।
- चाणक्य की नीतियों में मनुष्य की इच्छाओं को उसकी स्थिति से मापा गया है। उनका कहना था कि गरीब व्यक्ति केवल धन चाहता, जबकि मध्यमवर्गीय परिवार दौलत के साथ इज्जत भी चाहती है। वहीं उच्च वर्ग सिर्फ इज्ज्त के लिए मरता है।
- चाणक्य ने अपनी नीति में एक बहुत ही गूढ़ बात बताई है। वह यह कि, जल पीने से अपच दूर होता है। जल से मूर्छा दूर होती है, लेकिन यही जल यदि गलत तरीके पीया जाए तो वह नुकसान करता है। खाने के तुरंत बाद पानी पीना खतरनाक माना गया है।
- चाणक्य कहते हैं कि जिसके पास ज्ञान है यदि उस ज्ञान का उपयोग न करे तो वह खो जाता है। इसलिए ज्ञान को बांटना चाहिए और अज्ञानता को दूर करना चाहिए। अज्ञानता मनुष्य को खा जाती है।
- जीवन में मनुष्य सबसे अभागा तब माना जाता है जब वह अपने जीते-जी अपनी संपत्ति को बांट देता है। अथवा दूसरों पर निर्भर होता है।
- चाणक्य ने कहा है कि क्रोध साक्षात यम के समान होता है। वहीं तृष्णा नरक की ओर ले जाने वाली वैतरणी होती है। इन सब से ज्ञान के बल पर जीता जा सकता है और यही कारण है कि ज्ञान को कामधेनु गाय की तरह माना गया है।
- चाणक्य का कहना है कि नीति भ्रष्ट होने पर सुंदरता का नाश होता है और हीन आचरण से कुल का नाश होता है। वहीं यदि सही बचत या विनियोग न हो तो धन की हानि होती है।
- उच्च कुल में जन्म लेकर भी यदि को मूढ़ हो तो उसके उच्च कुल में जन्म लेने का कोई फायदा नहीं, जबकि नीच कुल में यदि ज्ञानी पैदा हो तो उसका सम्मान देवता की तरह किया जाता है। विद्वान् व्यक्ति हर जगह सम्मान पाता है। यदि कोई सुंदर हो लेकिन उसके पास ज्ञान नहीं तो उसकी सुंदरता बेकार है, ठीक पलाश के फूल की तरह जो दिखते तो सुंदर हैं लेकिन खूशबू नहीं देते।
आचार्य चाणक्य की इन बातों को जिसने अपने जीवन में समझ कर उतार लिया, उसे जीवन में सफलता और सुख जरूर प्राप्त होगा।