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चाणक्य नीति : इन बातों में लापरवाही पड़ेगी बहुत भारी, जानिए क‍िन कामों में हमेशा रहें सतर्क

Updated Jan 19, 2021 | 09:23 IST

आचार्य चाणक्य के नीतिशास्त्र के अनुसार व्यक्ति को अपने जीवन में कुछ ऐसे कार्यों में लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए अन्यथा प्राण संकट में पड़ सकते हैं। जानिए कुछ ऐसी महत्वपूर्ण बातें।

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chanakya ke safalta sootra
मुख्य बातें
  • दवा लेने में लापरवाही बरतने से आप प्रांण को डाल सकते हैं संकट में
  • भूख से अधिक भोजन स्वास्थ्य पर डालता सकता है प्रतिकूल प्रभाव
  • धन की बर्बादी व्यक्ति को कर सकता है बर्बाद

भारतीय राजनीति और अर्थशास्त्र के जनक कहे जाने वाले आचार्य चाणक्य का नीतिशास्त्र एक महान ग्रन्थ है। जिसमें सुख औऱ सफल जीवन के लिए तमाम तरह की नीतियों का उल्लेख किया गया है। इन्हीं नीतियों के बल पर कई राजाओं ने अपना शासन चलाया। इन नीतियों से आप अपनी किसी भी समस्या का हल निकाल सकते हैं। वैसे तो चाणक्य का यह नीतिशास्त्र राजा महाराजाओं के समय का है लेकिन आज भी यह आपकी किसी भी समस्या का हल निकालने के लिए कारगार सिद्ध होता है। ऐसे में आइए जानते हैं आचार्य चाणक्य के नीतिशास्त्र में दिए कुछ ऐसे कार्य जिनमें लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए अन्यथा व्यक्ति का जीवन संकट में पड़ सकता है।

दवा लेने में ना बरतें लापरवाही

चाणक्य नीति के अनुसार बीमार व्यक्ति को दवा लेने में लापरवाही नहीं करनी चाहिए अन्यथा यह जानलेवा भी साबित हो सकता है। यही कारण है कि चाणक्य कहते हैं कि दवा का इस्तेमाल सही तरीके और सही समय पर ना किया जाए तो यह खतरनाक हो सकता है।

आवश्यकता से अधिक ना करें भोजन

आवश्यकता से अधिक भोजन सेहत के लिहाज से खतरनाक साबित हो सकता है। इसलिए व्यक्ति को अपने भूख के अनुसार ही भोजन करना चाहिए। भोजन करते समय अगर अपने पाचन तंत्र पर ध्यान ना दिया जाए तो वह व्यक्ति के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है।

धन संचय करें

चाणक्य ने अपने नीतिशास्त्र में कहा है कि धनी व निर्धन, सभी व्यक्तियों को धन संचय करना चाहिए। धन की बर्बादी व्यक्ति को बर्बाद कर सकता है। इसलिए व्यक्ति को अपने फालतू के खर्चों पर लगाम लगाना चाहिए और धन संचय करना चाहिए। यह बुरे वक्त से लड़ने में कारगार होता है। किसी बीमारी या दुर्घटना होने के दौरान धन ना रहने पर आप अपने प्राणों को भी संकट में डाल सकते हैं।

शस्त्र धारण करने वालों से ना करें अत्यधिक मित्रता

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि शस्त्र धारंण करने वालों पर अत्यधिक भरोसा नहीं करना चाहिए। ऐसे लोगों पर अत्यधिक भरोसा कर आप खतरे को दावत देते हैं, क्योंकि क्रोधित होने पर ये लोग किसी के सगे नहीं होते। इसलिए इनसे अत्यधिक मित्रता ना करें।

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