- कड़वी वाणी इंसान के लिए जहर का काम करती है
- क्रोध इंसान के बने बनाए काम को बिगाड़ देता है
- बुरी संगति लोगों के लिए नुकसानदायक है
चाणक्य नीति भले ही आज से सदियों पूर्व बनी हो, लेकिन वो नीतियां आज भी मानव जीवन के लिए बेहद काम की हैं। इंसान के अंदर खूबियां क्या होनी चाहिए, उसे कैसा होना चाहिए, उसके आसपास का वातावरण कैसा हो अथवा किन चीजों या लोगों से उसे दूर रहना चाहिए, यह सब कुछ नीतियों में बताया गया है। ये नीतियां इंसान को जीवन में आगे बढ़ने, दुश्मनों और विपरीत परिस्थितियों से मुकाबला करने में बहुत मददगार होती हैं। चाणक्य ने हर इंसान को पांच चीजों से दूर रहने की सलाह दी है। ये पांच चीजें ऐसी हैं जो यदि इंसान में हों या इंसान के आसपास हों तो इंसान का जीवन कभी सुखमय नहीं हो सकता। ये चीजें इंसान के जीवन को मौत समान कष्ट देती हैं। तो आइए जानें क्या हैं ये पांच चीजें।
चाणक्य नीति के अनुसार किन 5 चीजों से बचना चाहिए
1 अत्यधिक क्रोध करना
जिस व्यक्ति के अंदर बहुत गुस्सा हो वह जीवन में कभी सुखी नहीं रह सकता। ऐसा व्यक्ति हमेशा चिड़चिड़ा, दुखी और परेशान रहता है। उसका गुस्सा न केवल उसे अपनो से दूर कर देता है बल्कि उसके गुस्से से वह खुद भी एक दिन अवसादग्रस्त हो जाता है। ऐसा व्यक्ति अपने क्रोध से बनी बनाई बात को बिगाड़ देता है और जब उसका गुस्सा शांत होता है तब उसे अपनी गलती का अहसास होता है। गुस्सा करने वाले से हर कोई दूर रहता है और ऐसे लोगों से दोस्ती करने से भी लोग कतराते हैं। गुस्सा इंसान का जीवन नरक की तरह बना देता है।
2 दरिद्रता का वास
दरिद्रता नरक समान ही होती हैं। जिस घर में इसका वास होता है वहां कभी सुख और समृद्धि का वास नहीं होने पाता। ऐसे घरों में रिश्ते भी जरूरत पर टिके होते हैं। इसलिए कोई अपना नहीं होता। दरिद्रता का वास इंसान को अपराध की ओर ले जाता है। इसलिए दरिद्रता से दूर रहना चाहिए और जिस व्यक्ति के घर में दरिद्रता हो उसे इसे दूर करने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए, क्योंकि इसके होने से इंसान का जीना न जीना बराबर होता है। ऐसा इंसान अपने जीवन को जीना नहीं सीखता बल्कि अपने जीवन को काटता है। कई बार ऐसे लोग अपराध को ही जीवन जीने का रास्ता बना लेते हैं या गलत संगति ही इन्हें भाति है।
3 कड़वी वाणी बोलना
जिस इंसान की जबान मीठी न हो वह किसी का प्रिय नहीं हो सकता। कड़वी जबान में अच्छी बात भी लोगों को बुरी लगती है और ऐसे लोगों को लोग हमेशा अपने से अलग रखते हैं। कड़वी जबान इंसान के संस्कार को बताती है, इसलिए किसी से बात करते हुए अपने वाणी को मधुर रखना चाहिए। वाणी के कारण ही युद्ध होते हैं और वाणी के कारण ही युद्ध खत्म भी होते हैं। बस फर्क वाणी के बोलने के अंदाज से होता है। इसलिए इंसान को अपनी वाणि पर हमेशा नियंत्रण रखना चाहिए और मधुर वाणी में ही बात करनी चाहिए।
4 नीच लोगों की संगति
जिस इंसान की संगति अच्छी न हो उसका जीवन नरक बनना तय है। बुरी संगति हमेशा बुरे परिणाम ही दिखाती है। इसलिए हर इंसान को अपनी संगति पर ध्यान देना चाहिए। बुरी आदतों के बीच रह कर बुरा बनना तय होता है। बुरी संगति में रह कर इंसान सही-गलत की पहचान करना भूल जाता है। इतना ही नहीं एक दिन उसकी अंतरआत्मा भी उसे गलत कामों पर धिक्कारना बंद कर देती हैं। जिस दिन इंसान की आत्मा धिक्कारना बंद कर दे इंसान को समझ लेना चाहिए कि वह नरकवासी बन चुका है।
5 अपने सगे संबंधियों से बैर रखना
जिस इंसान के अंदर रिश्तों का महत्व न हो वह नरक का भागी बन जाता है। अपने सगे-संबंधियों से बैर रखना और उनसे दूरी बनाना एक दिन इंसान को भारी पड़ता है। बुरे वक्त में उसके साथ अपने भी नहीं खड़े होते। रिश्ते जीवन को सुंदर बनाते हैं और इंसान को रिश्तों के बीच जीना खुशमिजाज बनाता है। अपनों का नुकसान करना या अपनों से दूरी बना कर रहना इंसान को अकेलेपन की ओर ले जाता है। एक दिन अकेलापन ही इंसान को खाने लगता है।
आचार्य चाणक्य के इन पांच बुराइयों से बच कर आप अपने जीवन को सुखमय और आनंददायक बना सकते हैं।