- कुंवारी कन्या होती हैं देवी का रूप, इसलिए भूलकर भी ना लगाएं पैर।
- भारतीय संस्कृति में गाय को माना जाता है माता का स्वरूप।
- बुजुर्ग को समाज में माना जाता है सदा सम्मानीय, इनका अपमान आपको कर देगा बर्बाद।
Chanakya Teachings in Hindi: मेडिकल साइंस की बात करें या अर्थशास्त्र का जिक्र या फिर गणित के मुश्किल सवालों को हल करने की, भारतीय सभी क्षेत्र में अपना परचम बुलंद कर चुके हैं। विशिष्ट रूप से अर्थशास्त्र और नीतिशास्त्र की बात करें तो आचार्य चाणक्य को इसका जनक कहा जाता है। चाणक्य की नीतियों के बल पर कई राजा महाराजाओं ने अपना शासनकाल चलाया इन्हीं नीतियों के बल पर चाणक्य ने चंद्रगुप्त मौर्य को बतौर सम्राट स्थापित कर दिया।
आचार्य चाणक्य ने अपने नीतिशास्त्र में ना केवल जीवन को सरल और सुगम बनाने के तरीके बताए हैं बल्कि उन्होंने जीवन में आने वाली चुनौतियों का भी संकेत दिया है। चाणक्य के अनुसार मनुष्य को इन चीजों को भूलकर भी पैर नहीं लगाना चाहिए।
यदि गलती से पैर लग जाए तो तुरंत माफी मांगनी चाहिए। अन्यथा आप संकट में पड़ सकते हैं भगवान भी आपको माफ नहीं कर सकते। ऐसे में आइए जानते हैं आखिर कौन सी हैं ऐसी पांच चीजें।
अग्नि:
चाणक्य के अनुसार सनातन हिंदु धर्म में अग्नि को पूजनीय माना जाता है। अग्नि को देवता माना जाता है और देवताओं का अपमान नहीं किया जाता। यही कारण है कि सभी महत्वपूर्ण कार्यों में अग्नि को साक्षी मानकर वचन लिया जाता है। इसलिए अग्नि को पैर से नहीं छूना चाहिए। यदि आप अग्नि को छूते हैं तो आप निश्चित तौर पर जल जाएंगे।
कुंवारी कन्या:
आचार्य चाणक्य ने एक श्लोक के माध्यम से कुंवारी कन्या को देवी का रूप बताया है। इसलिए कन्या को कभी भी पैर से नहीं छूना चाहिए। तथा कभी किसी कन्या को अपना पैर ना छूने दें। यदि गलती से पैर लग जाए या वह आपका पैर छू ले तो उससे तुरंत माफी मांगे अन्यथा आप संकट में पड़ सकते हैं।
आध्यात्मिक गुरु:
गुरु का स्थान माता पिता और भगवान सबसे ऊपर होता है, ऐसे में गुरु हमेशा वंदनीय होते हैं। इसलिए गुरु के पैर आपको सबसे पहले छूने चाहिए। तथा गुरु को कभी अपना पैर ना लगने दें अन्यथा आपका सर्वनाश हो सकता है। यदि पैर गलती से लग जाए तो उनसे तुरंत माफी मांगे।
ब्राम्हण:
सनातन हिंदु धर्म में ब्राम्हण को किसी देवी देवता से कम नहीं माना जाता। समाज में ब्राम्हण का स्थान सबसे उच्च होता है, इसलिए ब्राम्हणों को कभी पैर से ना छुएं। यदि कभी गलती से पैर लग जाए तो उनसे तुरंत माफी मांगे अन्यथा आपका सर्वनाश हो सकता है।
बड़े बुजुर्ग:
उम्र में बड़े यानि बुजुर्ग को समाज में सदा सम्मानीय माना जाता है। इसलिए किसी भी शुभ कार्य की शुरुआत से पहले घर के बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद जरूर लेना चाहिए। तथा उन्हें गलती से कभी पैर से ना छुएं और ना ही उनका निरादर करें। चाणक्य कहते हैं कि जिस घर में बड़े बुजुर्गों का निरादर होता है वहां कभी सुख समृद्धि का वाश नहीं होता।
शिशु:
चाणक्य ने अपने नीतिशास्त्र में उल्लेख किया है कि हिंदु धर्म में बच्चे को भगवान का रूप माना जाता है। कहा जाता है कि शिशु में साक्षात भगवान वाश करते हैं। इसलिए बच्चे को कभी पैर से ना छुएं या पैर ना लगने दें।
गाय:
भारतीय संस्कृति में गाय को माता का स्वरूप माना जाता है। गाय के दूध से बनी मिठाईयां धार्मिक अनुष्ठान के लिए शुद्ध मानी जाती हैं। यहां तक कि गाय के गोबर का उपले बनाकर उनका खाना बनाने के लिए प्रयोग किया जाता है। सनातन धर्म में गाय माता का रूप होती हैं। ऐसे में गाय को कभी पैर से ना छुएं या पैर ना लगने दें। यदि गलतीवश पैर लग जाए तो तुरंत माफी मांग लें।