- रमजान ईद-उल फितर एक पब्लिक हॉलीडे होता है
- रमजान के आखिरी दिन चांद का दीदार कर ईद मनाई जाती है
- इस दिन मुस्लिम नमाज अदा करते हैं और अपनों को गले मिलकर उन्हें ईद की मुबारकबाद देते हैं
रमजान ईद-उल फितर एक पब्लिक हॉलीडे होता है। मुस्लिमों का पाक रमजान का महीना जारी है। रमजान के आखिरी दिन चांद का दीदार कर ईद मनाई जाती है। रमजान के महीने में एक माह तक रोजा रखा जाता है और आखिरी दिन ईद मनती है। ईद का सेलिब्रेशन चांद के निकलने पर निर्भर करता है। जब तक आसमान में चांद नहीं निकलता है तब तक रोजेदारों की ईद नहीं होती है, जैसे ही आसमान में चांद का दीदार होता है वैसे ही लोगो का ईद सेलिब्रेशन शुरू हो जाता है। इस दिन मुस्लिम नमाज अदा करते हैं और अपनों को गले मिलकर उन्हें ईद की मुबारकबाद देते हैं।
इसके अलावा गरीबों में भोजन बांटकर उनके लिए खुशी की दुआ मांगते हैं। इस दिन मुस्लिम खास रेसिपी सेवई बनाते हैं और मिल बांट कर खाते हैं। इनकी परंपरा के मुताबिक ये ईद के दिन के लिए महीने भर से तैयारी करते हैं। इस दिन नए-नए कपड़े पहन कर मस्जिद जाते हैं और पहले नमाज पढ़ते हैं और एक दूसरे के गले लगकर उन्हें मुबारकबाद देते हैं। ये दिन उनके लिए सबसे पाक दिन माना जाता है वे इस दिन एक दूसरे के गिले शिकवे भूलकर खुशियां बांटते हैं और एक दूसरे की खुशी की कामना करते हैं।
कब है ईद
बता दें कि रमजान का महीना वे बड़ी ही नियम के साथ पालन करते हैं। रोजा करने वाले रोजेदार उपवास में ना तो किसी की बुराई करते हैं और ना ही किसी के बारे में बुरा सोचते हैं। इस दौरान वे झूठ बोलने और गलत काम करने से भी परहेज करते हैं। उनका मानना है कि रमजान के महीने में इन बातों का पालन करने से अल्लाह की उन पर रहमत बरसती है। इस बार साल 2020 में ईद 25 मई को मनाई जाएगी। माह-ए-रमजान की शुरुआत इस साल 25 अप्रैल से हुई थी।
रमजान का महत्व
इस्लाम में रमजान का महीना सबसे पाक (पवित्र) महीना माना जाता है। इस्लाम धर्म की मान्यता के मुताबिक रमजान के महीने की 27वीं रात को कुरआन का अवतरण हुआ था। इस पाक महीने में इसलिए कुरआन पढ़ने का भी विशेष महत्व होता है। इस दौरान वे गरीबों की खास तौर पर मदद करते हैं और उनके लिए दुआ मांगते हैं। मुस्लिम रोजा के दौरान दिन में पांच बार नमाज पढ़ते हैं। फज्र की नमाज (सुबह की नमाज) से लेकर इशा (रात की नमाज) की नमाज तक वे दिन भर में पांच बार नमाज पढ़ते हैं।
इन्हें होती है छूट
रमजान में केवल नवजात बच्चों की माएं, प्रेग्नेंट महिलाएं और माहवारी के दौरान की महिलाओं के लिए छूट है कि वे रोजा चाहे तो नहीं रख सकती हैं। जो बीमार हैं वे भी रोजा नहीं रख सकते हैं लेकिन उन्हें किसी गरीब या जरूरतमंद को खाना खिलाना चाहिए। रोजा रखने वालों को 29-30 दिनों तक ऐसा करना पड़ता है। रोजा की समाप्ति ईद की तारीख पर निर्भर करता है। रोजादार अपना पहला भोजन सुबह में सूर्योदय के पहले करते हैं जिसे सहरी या सुहुर कहते हैं। मुस्लिम कैलेंडर के मुताबिक नौवें महीने को पाक महीना माना जाता है।