- चैत मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर भगवान हनुमान का जन्म हुआ था।
- हनुमान जयंती पर विधिवत तरीके से भगवान हनुमान की पूजा करने से सभी परेशानियां दूर होती हैं।
- हनुमान जयंती पर हनुमान की पूजा करने के साथ कथा अवश्य सुनना चाहिए इससे विशेष फल की प्राप्ति होती है।
हिंदू मान्यताओं के अनुसार, भगवान श्री हनुमान का जन्म चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि पर हुआ था। भगवान श्री हनुमान का जन्म माता अंजना की कोख से हुआ था। हनुमान जयंती पर भगवान हनुमान समेत भगवान राम की पूजा करना बहुत शुभ और मंगलमय माना जाता है। इस दिन भगवान हनुमान को पूजा के समय सिंदूर का चोला, लाल वस्त्र, ध्वजा आदि चढ़ाया जाता है।
इसके साथ भगवान हनुमान की पूजा करने से पहले केसर में मिला हुआ चंदन लगाया जाता है तथा फूल और लड्डू अर्पित किए जाते हैं। ऐसी मान्यता है कि नारियल और पेड़ों का भोग लगाने से भगवान हनुमान जल्दी खुश हो जाते हैं। हनुमान जयंती के दिन सुंदरकांड और हनुमान चालीसा का पाठ करना बेहद शुभ माना जाता है। हनुमान जयंती पर भगवान हनुमान की पूजा करने के साथ आपको उनकी कथा अवश्य सुननी चाहिए।
हनुमान जयंती पर यहां जानें भगवान हनुमान की जन्म कथा।
हनुमान जयंती व्रत कथा इन हिंदी
बहुत समय पहले त्रेता युग में अयोध्या नगरी में राजा दशरथ का बहुप्रख्यात और समृद्ध राज्य हुआ करता था। राजा दशरथ की तीन रानियां थीं जिनका नाम कौशल्या, सुभद्रा और कैकेयी था। राजा दशरथ की एक भी संतान नहीं थी जिसके वजह से वह बेहद दुखी रहा करते थे। एक दिन अग्नि देव से मिली खीर को राजा दशरथ ने अपनी तीनों पत्नियों को दे दिया। तीनों रानियों ने इस खीर को खाया लेकिन एक चील ने झपट्टा मारा और खीर मुंह में लेकर उड़ गया। उड़ते-उड़ते वह देवी अंजना के आश्रम चला गया। देवी अंजना ऊपर ही देख रही थीं कि तभी चील के मुंह से खीर गिरा जो देवी अंजना के मुंह में चला गया।
अनजाने में देवी अंजना वह खीर खा गईं। अग्नि देव द्वारा दी गई इस खीर की कृपा से मां अंजना ने भगवान शिव के अवतार हनुमान जी को जन्म दिया। जिस दिन हनुमान जी का जन्म हुआ था उस दिन चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि थी और वह मंगलवार का दिन था। कहा जाता है कि जब भगवान श्री हनुमान का जन्म हुआ था तब उन्होंने जनेऊ धारण करके रखा था।