- ईशान कोण पर हमेशा पानी का कलश रखना चाहिए
- घर में चंदन की अगरबत्ती या माला में से कुछ भी जरूर रखना चाहिए
- हर घर में मां सरस्वती की प्रतिमा का होना जरूरी है
वास्तु के नियम मनुष्य के जीवन में बहुत मायने रखते हैं और इसके बारे में भगवान श्रीकृष्ण ने भी बताया है। वास्तु दोष मनुष्य के जीवन को गंभीर संकट में डालते हैं, वहीं यदि वास्तु शास्त्र के अनुसार घर को रखा जाएं तो मनुष्य के जीवन में सब कुछ अच्छा होता है। घर में सकारात्मकता रहती है और उसमें रहने वाले लोगों को जीवन में कामयाबी हासिल होती है। भगवान श्रीकृष्ण ने एक बार स्वयं धर्मराज युद्धिष्ठिर को वास्तु के पांच नियमों के बारे में बताया था। ये वास्तु नियम भगवान ने धर्मराज के राजतिलक के समय दिए थे। घर की सुख-समृद्धि और धन संपदा के लिए वास्तु के ये नियम बहुत काम आते हैं। इसलिए मनुष्य को वास्तु नियमों को अपने जीवन में जरूर ध्यान में रखने चाहिए।
जानें, भगवान श्रीकृष्ण के बताए वास्तु के 5 नियम
पीने का पानी : भगवान श्रीकृष्ण का कहना है कि हर मनुष्य को अपने घर में पानी की उचित व्यवस्था करनी चाहिए। घर के उत्तर-पूर्व कोने में पानी से भरा एक कलश जरूर रखना चाहिए। ये ईशान कोण होता है और ये ईश्वर का स्थान होता है। साथ ही पानी की बर्बादी हमेशा रोकनी चाहिए। कहीं से भी पानी यदि व्यर्थ में बह रहा है तो उसे तुरंत रोकने की व्यवस्था करनी चाहिए। बहता पानी सुख और धन दोनों को ले जाता है।
चंदन : हर घर में चंदन जरूर रखना चाहिए। चंदन की लकड़ी, चंदन की अगरबत्ती या माला कुछ भी जरूर होना चाहिए। चंदन पवित्रता का घोतक होता है और इस पवित्र चीज को घर में रखने से और इसकी खुशबू से नकारात्मकता दूर होती है। घर में हमेशा खुशनुमा माहौल रहता है।
गाय का घी: भगवान श्रीकृष्ण का कहना है कि घर में गाय के शुद्ध घी का इस्तेमाल पूजा और खाने में करना चाहिए। गाय का घी घर में हमेशा रहना चाहिए, क्योंकि ये संपन्नता की निशानी है। गाय के घी की शुद्धता से रोग-व्याधि और नकारात्मकता सभी दूर रहते हैं। सुबह-शाम गाय की घी का दीपक पूजा स्थल पर जलाने से ईश्वर की कृपा भी प्राप्त होती है।
शहद: धर्मराज युधिष्ठिर को सुख-समृद्धि के उपाय बताते हुए भगवान श्रीकृष्ण ने कहा था कि जिस घर में शहद हमेशा होता है, वहां आत्मीयता कायम होती है। शहद एक ऐसा पदार्थ है जो न सिर्फ आत्मा की शुद्धि करता है, बल्कि इससे घर में वातावरण भी स्वच्छ रहता है। शहद का पूजा और खाने में प्रयोग अधिक से अधिक करना चाहिए।
मां सरस्वती की प्रतिमा: भगवान श्रीकृष्ण ने धर्मराज को बताया कि जिस तरह वीणा वादिनी मां सरस्वती कीचड़ से निकले कमल पर विराजमान होती हैं, उसी तरह मां सरस्वती की पूजा से मनुष्य के दुर्दिन दूर होते हैं और उसकी बुद्धि को शुद्धता प्राप्त होती है। ज्ञान के बिना जीवन में सब अंधकारमय होता है, इसलिए देवी सरस्वती की प्रतिमा हर घर में होनी चाहिए।
भगवान श्रीकृष्ण का कहना है कि जहां पंचतत्व हैं- धूप, दीप, पुष्प गंध और नैवैद्य वहां वास्तु दोष की समस्या कोसों दूर रहती है।